GST Council का बड़ा फैसला – अब हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 22 सितंबर 2025 से ये नियम लागू हो जाएंगे। पहले बीमा प्रीमियम पर 18% GST लगता था, लेकिन अब इसे पूरी तरह Zero GST कर दिया गया है। इसका मतलब है कि इंश्योरेंस लेना पहले से सस्ता होगा और आम लोगों की जेब पर बोझ कम होगा।
अब तक क्या होता था?
पहले अगर आप 1,000 रुपये का प्रीमियम भरते थे, तो उस पर 18% यानी 180 रुपये अतिरिक्त टैक्स जुड़ जाता था।
👉 कुल भुगतान = 1,180 रुपये।
अब GST हटने के बाद आपको सिर्फ 1,000 रुपये ही देना होगा। यानी सीधा फायदा आपके हाथ में।
ITC का पेच क्या है?
अब तक बीमा कंपनियां अपने खर्चों (जैसे एजेंट कमीशन, ऑफिस किराया, मार्केटिंग आदि) पर जो GST देती थीं, उसे ग्राहकों से वसूले गए टैक्स में से एडजस्ट कर लेती थीं। इसे ही Input Tax Credit (ITC) कहा जाता है।
लेकिन अब GST जीरो हो गया है, तो कंपनियां ITC का फायदा नहीं उठा पाएंगी। इसका असर यह हो सकता है कि कंपनियां अपने खर्च का बोझ ग्राहकों पर डालें।
उदाहरण:
- कंपनी ने 1,000 रुपये का प्रीमियम लिया।
- इसमें से लगभग 126 रुपये GST खर्च में चला गया।
- पहले ये खर्च ITC से एडजस्ट हो जाता था, लेकिन अब कंपनियों को खुद वहन करना होगा।
इस स्थिति में कंपनियां ग्राहकों से 1,033 से 1,126 रुपये तक प्रीमियम वसूल सकती हैं।
पॉलिसीहोल्डर्स को कितना फायदा?
🔹 पहले: 1,000 के प्रीमियम पर ग्राहक 1,180 रुपये देते थे।
🔹 अब: 1,000 से 1,126 रुपये तक ही देना होगा।
यानी हर हाल में ग्राहक को फायदा होगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे इंश्योरेंस ज्यादा सस्ता और सुलभ हो जाएगा।
सरकार का मकसद क्या है?
बीमा को लग्जरी नहीं, बल्कि सोशल सिक्योरिटी माना जाता है। लंबे समय से इस पर GST हटाने की मांग उठ रही थी। सरकार ने इस कदम से दो बड़े फायदे करने की कोशिश की है:
- लोगों को हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
- आम नागरिक की जेब पर बोझ कम करना।
निष्कर्ष
Zero GST का फैसला आम लोगों के लिए बड़ी राहत है।
👉 अब टर्म इंश्योरेंस, फैमिली फ्लोटर और ULIP जैसे सभी पर्सनल प्लान सस्ते होंगे।
👉 कंपनियां खर्च का कुछ हिस्सा ग्राहकों से वसूलेंगी, लेकिन फिर भी प्रीमियम पहले से कम रहेगा।
👉 इससे बीमा सेक्टर में भरोसा और जागरूकता दोनों बढ़ेगी।
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