स्वर्णिम प्रकाश में चमकता हुआ स्वस्तिक का पवित्र हिन्दू चिन्ह
स्वस्तिक: समृद्धि, शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक

वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक का महत्व: समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक

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स्वास्तिक क्या है और इसका वास्तु में महत्व:

वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक का महत्व अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक माना गया है। भारतीय संस्कृति में स्वास्तिक को न केवल धार्मिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक भी है। घर, दुकान या किसी भी नए कार्य की शुरुआत में स्वास्तिक बनाना शुभ माना जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि वास्तु शास्त्र के अनुसार स्वास्तिक का क्या महत्व है, और इसे कहां व कैसे बनाना चाहिए।

घर में कहां बनाएं स्वास्तिक?

1. मुख्य द्वार पर स्वास्तिक

मुख्य द्वार को घर की ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है।

भारतीय पारंपरिक घर का मुख्य द्वार, जिस पर कुमकुम और हल्दी से बना स्वास्तिक चिन्ह दोनों ओर बना हो, रंगोली और फूलों से सजाया गया — उत्सव जैसा माहौल, शुभता का प्रतीक
  • क्यों बनाएं? इससे नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पातीं और शुभ ऊर्जा घर में बनी रहती है।
  • कैसे बनाएं? कुमकुम, हल्दी या चंदन से द्वार के दोनों ओर साफ-सुथरा स्वास्तिक बनाएं।
  • ध्यान रखें: स्वास्तिक कभी उल्टा न बनाएं। यह अशुभ होता है।

2. पश्चिम दिशा में सफेद स्वास्तिक

घर के लिविंग रूम की पश्चिमी दीवार पर चंदन से बना सफेद स्वास्तिक चिन्ह, दीवार हल्के पीले या क्रीम रंग की, साथ में दीया जलता हुआ, शांति और पवित्रता का प्रतीक

पश्चिम दिशा वायु तत्व से जुड़ी होती है और यह सामाजिक संबंधों, सम्मान और सहयोग को प्रभावित करती है।

  • क्यों बनाएं? इससे पारिवारिक तनाव कम होता है और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  • कैसे बनाएं? चंदन या सफेद रंग से स्वास्तिक बनाएं।
  • कहां बनाएं? लिविंग रूम या बैठक वाले स्थान की पश्चिमी दीवार पर बनाना शुभ होता है।

स्वास्तिक बनाने के जरूरी नियम

एक महिला स्वास्तिक बना रही है कुमकुम और हल्दी से, पास में पूजा की थाली और धूपबत्ती, पीछे दीवार पर भगवान विष्णु की तस्वीर, शुद्ध और आध्यात्मिक वातावरण
  1. साफ-सुथरी जगह पर बनाएं: गंदगी और अव्यवस्था के बीच स्वास्तिक का प्रभाव कम हो जाता है।
  2. सही दिशा में बनाएं: उल्टा या टेढ़ा-मेढ़ा स्वास्तिक न बनाएं।
  3. सामग्री का चयन सोच-समझकर करें: हल्दी, कुमकुम, चंदन या रंगोली का प्रयोग करें।
  4. नियमित रूप से साफ करें: समय-समय पर स्वास्तिक को नया बनाएं या रिफ्रेश करें।
  5. मंत्रों का जाप करें: स्वास्तिक बनाते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” जैसे मंत्रों का जाप करें।

स्वास्तिक के फायदे

धन और समृद्धि में वृद्धि: सही दिशा में स्वास्तिक घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करता है।
रिश्तों में सुधार: पारिवारिक कलह कम होती है और प्रेम बढ़ता है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: घर का वातावरण शांतिपूर्ण और सकारात्मक बनता है।
मानसिक शांति: मन और मस्तिष्क को स्थिरता मिलती है।
व्यापार में वृद्धि: ऑफिस में स्वास्तिक लगाने से प्रगति होती है।

अन्य उपयोगी सुझाव

  • पूजा घर में स्वर्ण या पीतल का छोटा स्वास्तिक रखें।
  • तिजोरी के ऊपर लाल या पीले रंग में स्वास्तिक बनाएं।
  • वाहन पर भी शुभता के लिए स्वास्तिक का चिन्ह बनाना लाभकारी होता है।
दफ्तर की अलमारी या तिजोरी पर लाल रंग से बना स्वास्तिक चिन्ह, पास में लक्ष्मी गणेश की मूर्ति, धन और समृद्धि का वातावरण

निष्कर्ष

स्वास्तिक कोई सामान्य चिन्ह नहीं, बल्कि शुभता, संतुलन और सफलता का शक्तिशाली प्रतीक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि इसे सही दिशा, रंग और नियमों के अनुसार बनाया जाए, तो यह आपके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव ला सकता है। चाहे वह धन की बात हो, स्वास्थ्य या पारिवारिक सुख – स्वास्तिक का प्रभाव हर क्षेत्र में देखने को मिलता है।

स्वास्तिक के चारों ओर ऊर्जा की लहरें या प्रकाश फैलता हुआ, घर के भीतर स्वच्छ, हरियाली और हल्का माहौल, स्वास्तिक केंद्र में चमकता हुआ

तो अब देर किस बात की? वास्तु के अनुसार अपने घर या ऑफिस में स्वास्तिक बनाएं और सकारात्मक ऊर्जा के साथ एक नया अध्याय शुरू करें।

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