भारत सेमीकंडक्टर मिशन के जरिए देश तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। सेमीकंडक्टर – यानी वह सूक्ष्म चिप जो आज के हर डिजिटल यंत्र की जान है। मोबाइल फोन, लैपटॉप, कार, टीवी या सैटेलाइट – हर तकनीक में इसकी अहम भूमिका है। भारत लंबे समय तक इस क्षेत्र में सिर्फ उपभोक्ता रहा, लेकिन अब स्थितियां तेजी से बदल रही हैं। भारत अब न केवल इन चिप्स का बड़ा बाज़ार बन रहा है, बल्कि वह खुद इनका उत्पादन भी करने लगा है। यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी क्रांतिकारी है।
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में भारत का वर्तमान परिदृश्य
2023 में भारत का घरेलू सेमीकंडक्टर मार्केट करीब 38 अरब डॉलर का था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। अनुमान है कि 2030 तक यह बाजार 100 से 110 बिलियन डॉलर को पार कर सकता है। यह ग्रोथ भारत को अमेरिका और चीन जैसे सेमीकंडक्टर महाशक्तियों की श्रेणी में ला खड़ा करेगी।
- चीन: $177.8 अरब डॉलर का मार्केट (2023), ग्लोबल मार्केट में 32% हिस्सेदारी, उत्पादन 16-18%
- अमेरिका: $130 अरब डॉलर का मार्केट (2023), हिस्सेदारी 25%, उत्पादन 12%
- भारत: $45 अरब डॉलर का मार्केट (2024), हिस्सेदारी 1%, लेकिन 16% की ग्रोथ दर से आगे बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2030 तक यह ग्लोबल मार्केट में 6.21% तक पहुंच जाएगा।
भारत का बढ़ता उत्पादन इंफ्रास्ट्रक्चर
भारत में सेमीकंडक्टर का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है। इसका बड़ा श्रेय सरकार की India Semiconductor Mission (ISM) और Semicon India Program जैसी योजनाओं को जाता है। इन योजनाओं के तहत ₹76,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया जा रहा है।
प्रमुख पहलें:
- ICET (Initiative on Critical and Emerging Technologies) जैसी वैश्विक साझेदारियों से भारत की स्थिति और मजबूत हुई है।
- मई 2025 में केंद्र सरकार ने HCL और Foxconn के संयुक्त उपक्रम को मंजूरी दी, जिसके तहत एक अत्याधुनिक फैक्ट्री स्थापित की जाएगी। यह फैक्ट्री मोबाइल, लैपटॉप, और ऑटोमोबाइल्स के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स बनाएगी।
- उत्पादन क्षमता: हर महीने 20,000 वेफर
- उम्मीद: हर माह 3.6 करोड़ (36 मिलियन) चिप्स का निर्माण
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन कैसे बना ग्लोबल गेमचेंजर
2025 भारत के लिए ऐतिहासिक वर्ष साबित होने वाला है। इस साल भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन शुरू होने जा रहा है। साथ ही देश में 5 नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स भी निर्माणाधीन हैं।
इससे यह स्पष्ट है कि भारत अब केवल चिप्स का आयात करने वाला देश नहीं रहेगा, बल्कि वह ग्लोबल सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन का एक अहम हिस्सा बनेगा।
सेमीकंडक्टर उत्पादन क्यों है जरूरी?
- राष्ट्रीय सुरक्षा: डिफेंस और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता के लिए
- आर्थिक प्रगति: चिप्स का निर्यात विदेशी मुद्रा अर्जित करेगा
- रोज़गार: इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में लाखों लोगों को नौकरियां मिलेंगी
- डिजिटल भारत मिशन: भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम
निष्कर्ष
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन का सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन इसकी दिशा और गति दोनों आशाजनक हैं। अगर सरकार और उद्योग जगत इसी उत्साह से आगे बढ़ते रहे, तो 2030 तक भारत विश्व के अग्रणी सेमीकंडक्टर हब्स में गिना जाएगा। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में एक मजबूत नींव है।
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