पीएम नरेंद्र मोदी चीन यात्रा 2025
पीएम मोदी 2025 में SCO समिट में भाग लेने चीन जाएंगे। (image @ img.naidunia.com)

पीएम मोदी की छठी चीन यात्रा: क्या बदलेगा भारत-चीन संबंधों का समीकरण?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर चीन यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच वे शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे। यह यात्रा इस मायने में बेहद खास है क्योंकि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वह साल 2018 में चीन गए थे। प्रधानमंत्री रहते हुए यह उनकी छठी चीन यात्रा होगी, जो अब तक किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई सर्वाधिक यात्राओं में शुमार है।

अब तक पीएम मोदी की चीन यात्राएं कब-कब हुईं?

पीएम नरेंद्र मोदी की चीन यात्राओं का सिलसिला 2015 में शुरू हुआ। आइए नजर डालते हैं उनकी अब तक की यात्राओं पर:

  1. 14-16 मई 2015: आधिकारिक दौरा (बीजिंग, शंघाई, शियान)
  2. 4-5 सितंबर 2016: G20 शिखर सम्मेलन (हांगझोऊ)
  3. 3-5 सितंबर 2017: ब्रिक्स सम्मेलन (शियामेन)
  4. 27-28 अप्रैल 2018: अनौपचारिक बैठक (वुहान)
  5. 9-10 जून 2018: SCO समिट (किंगदाओ)

अब 2025 में पीएम मोदी छठी बार चीन की धरती पर कदम रखने जा रहे हैं, जिससे यह साफ हो जाता है कि वे चीन के साथ द्विपक्षीय संवाद को प्राथमिकता देते रहे हैं।

किन प्रधानमंत्रियों ने कभी नहीं की चीन यात्रा?

देश के इतिहास में कई ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने चीन यात्रा नहीं की। इनमें शामिल हैं:

  • गुलजारीलाल नंदा
  • लाल बहादुर शास्त्री
  • इंदिरा गांधी
  • मोरारजी देसाई
  • चरण सिंह
  • वी.पी. सिंह
  • चंद्रशेखर
  • एच.डी. देवगौड़ा
  • इंदर कुमार गुजराल

ये सभी नेता विभिन्न कारणों से चीन नहीं गए, जिनमें घरेलू राजनीतिक संकट, सीमित कार्यकाल या उस समय भारत-चीन संबंधों में तनातनी शामिल हो सकते हैं।

किस प्रधानमंत्री ने कितनी बार की चीन यात्रा?

प्रधानमंत्रीचीन यात्रा की संख्या
जवाहरलाल नेहरू1 बार
राजीव गांधी1 बार
नरसिम्हा राव1 बार
अटल बिहारी वाजपेयी1 बार
डॉ. मनमोहन सिंह2 बार
नरेंद्र मोदी6 बार (2025 में)

यह आंकड़ा बताता है कि नरेंद्र मोदी चीन के साथ संवाद और कूटनीति को कितनी अहमियत देते हैं।

7 साल बाद क्यों जा रहे हैं पीएम मोदी चीन?

पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच सीमाई तनाव की पृष्ठभूमि अब भी पूरी तरह शांत नहीं हुई है। जून 2020 की गलवान घाटी झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे और इसके बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच गया था। पीएम मोदी की यह यात्रा संकेत देती है कि दोनों देश अब रिश्तों की बहाली और विश्वास की पुनःस्थापना की ओर बढ़ रहे हैं।

क्या बदलेगा इस यात्रा से?

  1. सीमा पर विश्वास बहाली: अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स समिट के दौरान मोदी-जिनपिंग की मुलाकात में सीमा पर शांति बनाए रखने की बात दोहराई गई थी। इस यात्रा में उस दिशा में ठोस कदम की उम्मीद की जा रही है।
  2. व्यापारिक संबंधों का पुनर्निर्माण: जून 2025 में दोनों देशों ने ट्रेड और इकनॉमिक्स पर वार्ता शुरू करने की सहमति दी थी। पीएम मोदी की यात्रा इन वार्ताओं को गति दे सकती है।
  3. एयर कनेक्टिविटी: 2020 से निलंबित भारत-चीन हवाई सेवाओं को फिर से शुरू करने के प्रयास भी तेज हो सकते हैं।

मोदी-जिनपिंग: रिश्तों में नई शुरुआत?

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2024 में कजान (रूस) में हुई मुलाकात पांच साल बाद पहली औपचारिक बातचीत थी। उस बैठक में पीएम मोदी ने स्पष्ट किया था कि सीमा पर शांति और सौहार्द ही भारत-चीन रिश्तों की बुनियाद होनी चाहिए।

शी जिनपिंग ने भी जवाब में कहा था कि दोनों देशों को मतभेदों को संभालना चाहिए और विकासशील देशों के लिए उदाहरण बनना चाहिए।


SCO समिट: सिर्फ मंच या अवसर?

शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन एक महत्वपूर्ण यूरेशियन राजनीतिक और सुरक्षा समूह है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान सहित 10 देश शामिल हैं। यह मंच भारत-चीन के बीच खुलकर बातचीत का एक सशक्त अवसर बन सकता है। चीन भी अब इस बात को समझता है कि भारत को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं।

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निष्कर्ष

पीएम नरेंद्र मोदी की यह छठी चीन यात्रा केवल एक कूटनीतिक शिष्टाचार भर नहीं, बल्कि नई शुरुआत और विश्वास बहाली की नींव भी हो सकती है। 7 साल बाद चीन की यात्रा इस संकेत के साथ हो रही है कि भारत अब भी बातचीत के रास्ते को खुला रखना चाहता है। लेकिन यह भी तय है कि अब भारत अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।

सीमा पर विश्वास, व्यापार में पारदर्शिता, और राजनयिक संतुलन – यही होंगे इस यात्रा के तीन मुख्य स्तंभ।

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