भारत रूस तेल और S-400 डील: भारत और रूस के रिश्ते एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में दोनों देशों के बीच सस्ते तेल और हथियार आपूर्ति पर नई डील की खबरें सामने आई हैं। इससे भारत को आर्थिक और सामरिक, दोनों ही स्तरों पर बड़ा लाभ मिलने की संभावना है। वहीं, अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दोस्ती लगातार मजबूत हो रही है।
रूस से सस्ता तेल: भारत के लिए वरदान
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें सीधे अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं। रूस ने हाल ही में भारत को यूराल क्रूड ब्रेंट की तुलना में 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल सस्ते दाम पर ऑफर किया है। पहले यह छूट केवल 1 से 2.5 डॉलर तक थी।
इस बदलाव का सीधा फायदा भारत को मिलने वाला है। सितंबर और अक्टूबर के लिए बुकिंग में तेल की सप्लाई 10 से 20% तक बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि भारत को हर दिन 1.5 से 3 लाख बैरल अतिरिक्त कच्चा तेल मिलेगा।
कम कीमत पर तेल मिलने से पेट्रोल-डीजल की दरें स्थिर रह सकती हैं। साथ ही, आयात बिल घटेगा और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव भी कम होगा।
अमेरिका की नाराजगी और टैरिफ वॉर
हालांकि, यह डील अमेरिका को पसंद नहीं आई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर पुतिन की जंग को समर्थन दे रहा है। ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने तो भारत पर “मुनाफाखोरी” का आरोप तक लगाया। उनका कहना है कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसे रीफाइन करता है और फिर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है।
यही कारण है कि अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया। इस कदम का असर भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर जरूर पड़ेगा। इसके बावजूद भारत ने साफ संकेत दिया है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं और सस्ते तेल से पीछे हटना आसान नहीं होगा।
S-400 मिसाइल सिस्टम: भारत की सुरक्षा ढाल
रूस से सिर्फ तेल ही नहीं, बल्कि हथियारों के मोर्चे पर भी भारत को बड़ा फायदा मिल सकता है। 2018 में भारत ने रूस से 5.5 अरब डॉलर की S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डील की थी। इस सौदे के तहत भारत को कुल पांच यूनिट्स मिलने थे। इनमें से तीन यूनिट्स पहले ही भारत को मिल चुके हैं। बाकी दो यूनिट्स 2026 और 2027 तक मिलने वाले हैं।
अब चर्चा यह है कि रूस भारत को और अतिरिक्त S-400 सिस्टम देने पर विचार कर रहा है। रूस की संघीय सैन्य-तकनीकी सहयोग सेवा के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने साफ कहा कि दोनों देश इस दिशा में बातचीत कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि आने वाले समय में भारत के पास और ज्यादा S-400 सिस्टम हो सकते हैं।
क्यों अहम है S-400?
S-400 दुनिया का सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह हवाई जहाज, ड्रोन और यहां तक कि बैलिस्टिक मिसाइलों को भी निशाना बना सकता है। मई में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसका इस्तेमाल किया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
S-400 की मौजूदगी से भारत की वायु सीमा पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाती है। इसके चलते दुश्मन देशों की ओर से हवाई हमले की संभावना काफी कम हो जाती है। यही वजह है कि यह डील भारत की रक्षा रणनीति में मील का पत्थर साबित हो रही है।
भारत-रूस रक्षा सहयोग की लंबी कहानी
भारत और रूस का रक्षा संबंध दशकों पुराना है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट बताती है कि 2020 से 2024 के बीच भारत के कुल हथियार आयात में 36% हिस्सा रूस का रहा है। इस दौरान फ्रांस का योगदान 33% और इज़रायल का 13% था।
स्पष्ट है कि भारत अब हथियारों की खरीद में विविधता ला रहा है। फिर भी रूस उसकी प्राथमिक पसंद बना हुआ है। यही कारण है कि भारत और रूस लगातार नई डील्स साइन करते रहते हैं।
पुतिन और मोदी की दोस्ती
हाल ही में तियानजिन, चीन में हुए SCO समिट के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात ने रिश्तों को और मजबूत बना दिया। पुतिन ने मोदी को “प्यारा दोस्त” कहकर संबोधित किया। वहीं, पीएम मोदी ने भारत-रूस के गहरे रिश्तों की सराहना की।
दोनों नेताओं ने साफ संदेश दिया कि वे मिलकर आर्थिक और सामरिक सहयोग को नए स्तर तक ले जाएंगे। इस मुलाकात ने संकेत दिया कि भारत और रूस अपने पुराने भरोसेमंद रिश्ते को और गहराई देने के लिए तैयार हैं।
भारत के लिए फायदे और चुनौतियां
रूस से सस्ता तेल खरीदने का फायदा भारत को जरूर मिलेगा। इससे ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और आम जनता पर महंगाई का बोझ भी कम पड़ेगा। दूसरी ओर, S-400 जैसे एडवांस्ड हथियार भारत की सुरक्षा को नई ऊँचाई देंगे।
हालांकि, यह सब आसान नहीं होगा। अमेरिका के साथ बढ़ता तनाव भारत के लिए चुनौती बन सकता है। अगर टैरिफ लंबे समय तक लागू रहा तो निर्यात पर असर पड़ेगा। साथ ही, भारत को कूटनीति के मोर्चे पर संतुलन साधना होगा ताकि पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ रिश्ते कायम रह सकें।
निष्कर्ष
भारत और रूस के बीच रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। कच्चे तेल पर मिल रही छूट और S-400 की नई डील इसका प्रमाण है। भले ही अमेरिका ने टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की हो, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता राष्ट्रीय हित हैं।
आने वाले समय में यह साझेदारी और गहरी हो सकती है। रूस भारत के लिए ऊर्जा और सुरक्षा का अहम स्तंभ बना रहेगा, जबकि भारत रूस के लिए एक भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार।
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