SCO समिट 2025 चीन के तियानजिन में आयोजित हुआ। यह केवल एक सम्मेलन नहीं था, बल्कि एशियाई राजनीति की दिशा तय करने वाला मंच साबित हुआ। आयोजन के दौरान एक दिलचस्प दृश्य सामने आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आपस में बातचीत करते हुए आगे बढ़े। इसके विपरीत, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चुपचाप उन्हें देखते रह गए। यह वीडियो वायरल होते ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय बन गया।
SCO समिट 2025 क्यों अहम है?
इस बार का सम्मेलन कई कारणों से खास रहा।
- सबसे पहले, प्रधानमंत्री मोदी लगभग सात साल बाद चीन पहुंचे।
- दूसरी ओर, राष्ट्रपति पुतिन चार दिन के लंबे दौरे पर मौजूद रहे।
- इसके अलावा, आयोजन ऐसे समय हुआ जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में संघर्ष हुआ था।
- साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया।
यही वजह है कि SCO समिट 2025 पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी रहीं।
मोदी-पुतिन की साझेदारी
भारत और रूस के रिश्ते दशकों से मजबूत रहे हैं। इस समिट ने इसे और मजबूती दी। बातचीत के दौरान दोनों नेताओं को सहज और हंसते हुए देखा गया। इससे साफ है कि भविष्य में रणनीतिक सहयोग और भी गहरा होगा।
संघर्ष के समय रूस का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान के लिए विनाशकारी साबित हुआ। कई पाकिस्तानी विमानों और मिसाइलों को इसी ने तबाह किया। नतीजा यह रहा कि सम्मेलन में मोदी और पुतिन की नजदीकियां चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गईं।
शहबाज शरीफ की स्थिति
इस बैठक में पाकिस्तान की भूमिका कमजोर दिखाई दी। वायरल वीडियो में साफ देखा गया कि मोदी और पुतिन बातचीत में व्यस्त थे। वहीं, शहबाज शरीफ अकेले खड़े थे।
हालांकि पाकिस्तान भी SCO का सदस्य है, लेकिन वह खुद को अलग-थलग महसूस करता रहा। आखिरकार, यह स्थिति बताती है कि पाकिस्तान को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
भारत-रूस-चीन की नजदीकी
समिट के दौरान एक और खास पल सामने आया। मोदी, पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आपस में बातचीत करते हुए देखा गया। यह तस्वीर एशिया में बदलते समीकरण की ओर इशारा करती है।
हालांकि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हैं, फिर भी संवाद की संभावना बनी रही। इसीलिए SCO जैसे मंच सहयोग की नई संभावनाएं खोलते हैं।
अमेरिका की चिंता
दूसरी ओर, अमेरिका के लिए यह स्थिति असहज है। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने भारत पर भारी टैरिफ लगाया। ऐसे में भारत का रूस और चीन के साथ मंच साझा करना अमेरिकी रणनीति को चुनौती देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर SCO देश आपसी सहयोग बढ़ाते हैं, तो पश्चिमी देशों के लिए एशिया में प्रभाव बनाए रखना कठिन होगा।
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पाकिस्तान की मुश्किलें
इस बार पाकिस्तान की स्थिति बेहद कठिन रही।
- संघर्ष में उसे रूस के S-400 सिस्टम से नुकसान उठाना पड़ा।
- चीन के समर्थन के बावजूद वह कमजोर नजर आया।
- शहबाज शरीफ का अकेला खड़ा रहना इस बात की गवाही देता है।
दूसरी ओर, यह भी साफ है कि पाकिस्तान को अपनी कूटनीति में बदलाव करना होगा।
सोशल मीडिया पर हलचल
यह वीडियो सोशल मीडिया पर छा गया। ट्विटर (X) पर कई यूजर्स ने इसे पाकिस्तान की हार बताया। वहीं, भारतीय यूजर्स ने मोदी की कूटनीतिक जीत कहा।
इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी मीम्स वायरल हुए। कई यूजर्स ने मजाक में लिखा — “मोदी और पुतिन आगे, पाकिस्तान पीछे।”
भविष्य की दिशा
SCO समिट 2025 ने साफ कर दिया कि एशिया में नए समीकरण बन रहे हैं।
- भारत और रूस की दोस्ती और मजबूत होगी।
- भारत और चीन के बीच संवाद की संभावना बनी रहेगी।
- पाकिस्तान को नई रणनीति की तलाश करनी होगी।
- अमेरिका के लिए एशिया में दबदबा बनाए रखना मुश्किल होगा।
निष्कर्ष
SCO समिट 2025 ने यह साबित किया कि वैश्विक शक्ति संतुलन बदल रहा है। मोदी और पुतिन की दोस्ती भविष्य की दिशा तय करेगी। वहीं, शहबाज शरीफ की चुप्पी पाकिस्तान की कमजोर स्थिति उजागर करती है।
आखिरकार, यह सम्मेलन केवल कूटनीतिक बैठक नहीं बल्कि एशियाई राजनीति का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।