आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब पूरे देश में लागू होने जा रहा है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि शेल्टर होम में रखे गए कुत्तों को स्टरलाइजेशन और वैक्सीनेशन के बाद दोबारा उनके इलाके में छोड़ दिया जाए। लेकिन, अगर कोई कुत्ता रेबीज से ग्रसित है या इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच – जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया ने कहा कि:
- शेल्टर होम भेजे गए कुत्तों को छोड़ना अनिवार्य है।
- खतरनाक या रेबीज से ग्रसित कुत्तों को छोड़ा नहीं जाएगा।
- सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खिलाने पर रोक होगी।
- हर शहर या कॉलोनी में कुत्तों को खिलाने के लिए एक निर्धारित स्थान तय किया जाए।
क्यों आया यह फैसला?
पिछले कुछ समय से देशभर में आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। खासतौर पर बच्चे और बुजुर्ग इसकी चपेट में आए हैं। इस समस्या को गंभीर मानते हुए कोर्ट ने कहा कि यह लापरवाही स्थानीय प्राधिकरण की निष्क्रियता का नतीजा है। इसलिए अब पूरे देश के लिए एक समान नीति बनाना जरूरी है।
11 अगस्त का पुराना आदेश
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दरअसल, 11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम भेजा जाए। इस आदेश का काफी विरोध हुआ। डॉग लवर्स और कई संगठनों ने कोर्ट में याचिका दायर कर इस पर रोक लगाने की मांग की। जिसके बाद मामला तीन जजों की बेंच में गया और अब नया फैसला सुनाया गया।
देशभर में लागू होंगे नियम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश में लागू होगा। इसके लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया गया है। साथ ही, हाईकोर्ट में चल रहे ऐसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
निष्कर्ष
आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इंसानों और जानवरों दोनों के हित में संतुलन बनाने की कोशिश है। यह आदेश न केवल आवारा कुत्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि लोगों की जान-माल की सुरक्षा भी करेगा। अब जरूरत है कि स्थानीय प्रशासन इस फैसले को सही तरीके से लागू करे ताकि सड़कों पर इंसानों और जानवरों के बीच टकराव की घटनाएं कम हो सकें।
पब्लिक प्लेस पर कुत्तों को खिलाने पर रोक तो लगी है, लेकिन ISKCON जैसी संस्थाएँ जरूरतमंदों और जानवरों के लिए निर्धारित स्थानों पर भोजन वितरण करती हैं।