RSS विजयादशमी समारोह नागपुर में संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर विशेष रूप से आयोजित किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने 41 मिनट तक संबोधन दिया। अपने भाषण में उन्होंने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले, अमेरिकी टैरिफ नीति, पड़ोसी देशों की अस्थिरता और भारत की आत्मनिर्भरता पर विस्तार से विचार रखा।
पहलगाम हमला और उससे मिली सीख
मोहन भागवत ने अपने संबोधन की शुरुआत पहलगाम आतंकी हमले से की। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने यात्रियों से धर्म पूछकर निर्दोष हिंदुओं की हत्या की। इस घटना का जवाब हमारी सेना और सरकार ने दिया।
भागवत ने कहा कि इस घटना ने हमें यह सिखाया कि मित्रता की भावना रखते हुए भी सुरक्षा को लेकर सजग रहना जरूरी है। इसलिए भारत को सक्षम और आत्मरक्षक बनना होगा।
RSS परंपरा और शस्त्र पूजन
RSS विजयादशमी समारोह की शुरुआत संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार को श्रद्धांजलि देकर हुई। इसके बाद मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया।
इस समारोह में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनकी मौजूदगी ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया।
RSS विजयादशमी समारोह में मोहन भागवत की बड़ी बातें
पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है
भागवत ने कहा कि दुनिया इस समय अराजकता से गुजर रही है। ऐसे माहौल में भारत एक उम्मीद बनकर उभर रहा है।
उन्होंने बताया कि देश की युवा पीढ़ी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव महसूस कर रही है। समाज समस्याओं का हल खुद खोजने की कोशिश कर रहा है और सरकार की पहल से लोगों का आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
आत्मनिर्भरता ही मजबूती का रास्ता
भागवत ने अमेरिकी टैरिफ नीति का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा है।
उन्होंने चेताया कि कोई भी देश अकेले नहीं रह सकता। हालांकि, यह निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए। भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा।
हिंसा नहीं, लोकतांत्रिक बदलाव जरूरी
RSS प्रमुख ने पड़ोसी देशों में हो रही हिंसा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब सरकारें जनता की भावनाओं को नज़रअंदाज करती हैं, तो असंतोष बढ़ता है।
लेकिन जब यह असंतोष हिंसा में बदल जाता है, तो समाज अराजक हो जाता है। लोकतांत्रिक रास्ता ही सही और स्थायी बदलाव का माध्यम है।
हिंसक परिवर्तनों से बाहरी ताकतों को मौका
भागवत ने कहा कि हिंसा का फायदा बाहरी ताकतें उठाती हैं। यही स्थिति पड़ोसी देशों में दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि भारत को इससे सबक लेकर सजग रहना चाहिए।
ऐतिहासिक उदाहरण और सबक
मोहन भागवत ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि फ्रांस में जनता ने राजा के खिलाफ विद्रोह किया और अंततः नेपोलियन सम्राट बना।
इसी तरह समाजवादी आंदोलनों का भी हाल रहा। समय के साथ वे पूंजीवादी व्यवस्थाओं में बदल गए। यह साबित करता है कि हिंसा से स्थायी समाधान नहीं मिलता।
समाज में बदलाव और RSS की भूमिका
भागवत ने कहा कि आज भारतीय समाज में बदलाव दिख रहा है। युवा वर्ग देशभक्ति और संस्कृति से अधिक जुड़ा हुआ है।
उन्होंने बताया कि RSS का उद्देश्य हमेशा से समाज को संगठित और सक्षम बनाना रहा है। जब समाज खुद समाधान खोजता है, तब राष्ट्र प्रगति की ओर बढ़ता है।
RSS विजयादशमी समारोह का संदेश
नागपुर में हुए RSS विजयादशमी समारोह ने पूरे देश के लिए संदेश दिया। भागवत ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर, संगठित और सतर्क रहना होगा।
उन्होंने लोकतांत्रिक बदलाव पर जोर दिया और हिंसा को खारिज किया। साथ ही, सुरक्षा और आत्मरक्षा को समय की मांग बताया।
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निष्कर्ष
RSS विजयादशमी समारोह में मोहन भागवत का भाषण केवल स्वयंसेवकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए मार्गदर्शन था।
इस भाषण से यह स्पष्ट हुआ कि भारत को आत्मनिर्भरता, लोकतांत्रिक सोच और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। यही भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाएगा।

