RSS शताब्दी वर्ष 2025 के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के ऐतिहासिक योगदान की सराहना करते हुए कहा कि संघ की स्थापना केवल एक संगठन खड़ा करने के लिए नहीं हुई थी, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की हजारों साल पुरानी परंपरा का पुनरुत्थान था। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया, जिसमें संघ के स्वयंसेवकों के योगदान और देश सेवा की भावना को दर्शाया गया है।
पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि संघ की हर गतिविधि, हर धारा और हर विचार का उद्देश्य केवल एक रहा है – “राष्ट्र प्रथम।” यही कारण है कि सौ साल के लंबे सफर में संघ समाज के हर वर्ग तक पहुंच सका और राष्ट्र निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सका।
पीएम मोदी के भाषण की 3 बड़ी बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के केंद्र में तीन बड़े संदेश थे, जो न केवल संघ के लिए बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं।
1. संघ की स्थापना संयोग नहीं, परंपरा का पुनरुत्थान
मोदी ने कहा कि RSS शताब्दी वर्ष 2025 हमें यह याद दिलाता है कि संघ की स्थापना 1925 में किसी संयोग का परिणाम नहीं थी। यह उस अनादि राष्ट्र चेतना का अवतरण था, जो समय-समय पर भारत भूमि पर विभिन्न रूपों में प्रकट होती रही है।
- अन्याय पर न्याय की विजय
- अंधकार पर प्रकाश की जीत
- समाज को जोड़ने और राष्ट्र को मजबूत करने का संकल्प
संघ इस बात का उदाहरण है कि भारतीय संस्कृति केवल प्राचीन धरोहर नहीं है, बल्कि वह आज भी जीवित और सक्रिय शक्ति है।
2. संघ का उद्देश्य – राष्ट्र प्रथम
मोदी ने कहा कि संघ की शुरुआत से लेकर आज तक उसका एक ही लक्ष्य रहा है – “राष्ट्र प्रथम”।
- शाखा पद्धति के माध्यम से व्यक्ति निर्माण पर जोर
- शिक्षा, संस्कार और अनुशासन के माध्यम से समाज निर्माण
- हर क्षेत्र में संगठन की उपस्थिति – शिक्षा, सेवा, संस्कृति, पर्यावरण और सामाजिक समरसता
उन्होंने कहा कि भले ही संघ से विभिन्न सामाजिक संगठन निकले हों और उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में काम किया हो, लेकिन उनमें कभी विरोधाभास नहीं हुआ, क्योंकि उद्देश्य हमेशा राष्ट्र निर्माण ही रहा।
3. घुसपैठ और डेमोग्राफी बदलाव बड़ी चुनौती
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में आज की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में घुसपैठ और डेमोग्राफिक बदलाव को बताया। उन्होंने कहा कि:
- पड़ोसी देशों से अवैध घुसपैठ देश की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन दोनों के लिए खतरा है।
- जनसंख्या संतुलन बदलने के प्रयास लंबे समय में गंभीर समस्या बन सकते हैं।
- कुछ ताकतें भारत को आर्थिक रूप से निर्भर बनाने की कोशिश कर रही हैं।
मोदी ने विश्वास दिलाया कि उनकी सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठा रही है और संघ ने भी इसके लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया है।
RSS शताब्दी वर्ष 2025 : समारोह की झलक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। यह न केवल संगठन के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
- शताब्दी वर्ष की शुरुआत : दशहरा, 2 अक्टूबर 2025 से
- अवधि : 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक
- आयोजन : देशभर में सात बड़े राष्ट्रीय कार्यक्रम
- अंतरराष्ट्रीय विस्तार : संघ प्रमुख मोहन भागवत अमेरिका और यूरोप में भी कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे
ये आयोजन न केवल संघ की यात्रा को सामने रखेंगे, बल्कि भविष्य की योजनाओं और दृष्टि को भी प्रस्तुत करेंगे।
RSS का सौ वर्षीय योगदान
1. व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण
संघ की शाखाएं केवल व्यायाम और अनुशासन की जगह नहीं हैं, बल्कि वे चरित्र निर्माण और जिम्मेदारी की पाठशाला हैं। लाखों स्वयंसेवक इन्हीं शाखाओं से तैयार होकर समाज और राष्ट्र की सेवा में जुटे हैं।
2. आपदा के समय सेवा कार्य
संघ के स्वयंसेवक हर संकट में आगे आते हैं। चाहे भूकंप हो, बाढ़ हो या महामारी – स्वयंसेवकों ने हमेशा राहत कार्य में अग्रणी भूमिका निभाई। कोविड-19 महामारी के दौरान लाखों स्वयंसेवकों ने भोजन, दवाई और सहायता पहुँचाई।
3. शिक्षा और संस्कृति
संघ ने शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में भी अनेक संगठन खड़े किए। विद्यालय, छात्र संगठन और सांस्कृतिक संस्थान भारतीय मूल्यों को बढ़ावा दे रहे हैं।
4. समाज समरसता और वंचित वर्गों का उत्थान
दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों तक पहुंचकर संघ ने उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा। समाज में भेदभाव मिटाने और समरसता लाने का अभियान संघ के प्रमुख कार्यों में से एक रहा है।
मोदी के भाषण का सामाजिक और राजनीतिक महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण केवल संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करने तक सीमित नहीं था। यह पूरे देश के लिए एक संदेश था।
- राष्ट्रवाद का उद्घोष : राष्ट्र प्रथम का मंत्र सभी के लिए मार्गदर्शक है।
- सेवा भाव का महत्व : समाज सेवा और मानवीय मूल्यों पर आधारित कार्य देश को मजबूत बनाते हैं।
- चुनौतियों से मुकाबला : सरकार और समाज दोनों को मिलकर देश को घुसपैठ और आर्थिक निर्भरता से बचाना होगा।
RSS शताब्दी वर्ष 2025 : भविष्य की दिशा
सौ साल पूरे होने पर संघ के सामने नई जिम्मेदारियाँ भी हैं।
- नई पीढ़ी से जुड़ना : युवाओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और तकनीक का उपयोग।
- एकता और समरसता : जाति और वर्ग के भेदभाव को मिटाकर राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना।
- वैश्विक स्तर पर पहचान : भारतीय संस्कृति और विचारधारा को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्थापित करना।
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निष्कर्ष
RSS शताब्दी वर्ष 2025 केवल एक संगठन की 100 साल की यात्रा का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और राष्ट्र चेतना का पुनः उद्घोष है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण इस अवसर पर संघ की भूमिका, चुनौतियों और भविष्य की दिशा को स्पष्ट करता है।
मोदी ने कहा – “संघ और स्वयंसेवकों का एक ही उद्देश्य है – राष्ट्र प्रथम।” यही विचार भारत को एकजुट करता है और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की प्रेरणा देता है।