चिप से शिप तक भारत में बनाने का सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रेटर नोएडा में आयोजित उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो (UPITS 2025) के उद्घाटन के दौरान पेश किया। उन्होंने साफ कहा कि भारत अब किसी भी क्षेत्र में दूसरों पर निर्भर नहीं रहेगा। चाहे इलेक्ट्रॉनिक चिप हो या शिपबिल्डिंग का क्षेत्र, हर तकनीक और उत्पादन अब भारत की जमीन पर होगा।
यह घोषणा न केवल भारत के औद्योगिक भविष्य की दिशा तय करती है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत 2047 के लक्ष्य को भी मजबूत करती है।
UPITS 2025: भारत की नई औद्योगिक छलांग
ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट में 25 से 29 सितंबर तक आयोजित UPITS 2025 का मकसद केवल निवेश और व्यापार को बढ़ावा देना ही नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश और भारत को वैश्विक मंच पर स्थापित करना भी है।
यहां भारत की औद्योगिक, कृषि, सांस्कृतिक और नवाचार से जुड़ी क्षमताओं का प्रदर्शन किया जा रहा है। इस आयोजन में दुनिया भर से निवेशक और खरीदार शामिल हो रहे हैं, जिससे यह साबित हो रहा है कि चिप से शिप तक भारत में बनाने की दिशा में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है।
आत्मनिर्भर भारत का मंत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है। इसके लिए जरूरी है कि हम किसी भी चीज को लेकर बाहरी देशों पर निर्भर न रहें।
उनके अनुसार –
- मेक इन इंडिया अभियान अब सिर्फ नारा नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत बन चुका है।
- स्थानीय उद्योग और MSMEs को बढ़ावा देकर भारत अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहा है।
- स्टार्टअप्स और युवाओं को नए अवसर दिए जा रहे हैं।
यह सब मिलकर चिप से शिप तक भारत में उत्पादन का रास्ता तैयार कर रहे हैं।
एक जिला, एक उत्पाद (ODOP) से ‘लोकल से ग्लोबल’
UPITS 2025 में एक जिला, एक उत्पाद पवेलियन सबसे बड़ा आकर्षण है। इसमें 343 स्टॉल लगाए गए हैं, जो हर जिले का एक प्रमुख उत्पाद प्रदर्शित कर रहे हैं।
- भदोही का कालीन
- फिरोजाबाद का ग्लासवर्क
- मुरादाबाद का मेटलवेयर
- सहारनपुर की लकड़ी की नक्काशी
ये सभी उत्पाद न केवल भारत की शिल्पकला और परंपरा की पहचान हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि किस तरह चिप से शिप तक भारत में उत्पादन और व्यापार का नेटवर्क मजबूत किया जा रहा है।
रूस बनेगा रणनीतिक भागीदार
इस बार ट्रेड शो में रूस पार्टनर देश के रूप में शामिल हो रहा है। 26 सितंबर को रूस-इंडिया बिजनेस डायलॉग आयोजित होगा, जिसमें दोनों देशों के उद्योगपति, वित्तीय संस्थान और नीति-निर्माता शामिल होंगे।
इस साझेदारी से भारत को न सिर्फ नए बाजार मिलेंगे बल्कि यह भी साबित होगा कि भारत अब वैश्विक व्यापार में मजबूत भूमिका निभाने के लिए तैयार है। यह सहयोग भारत के लिए ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी मददगार होगा।
पिछले संस्करणों की सफलता
- पहले संस्करण (2023) का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था।
- दूसरे संस्करण का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया।
- अब तीसरे संस्करण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है।
अब तक के दोनों आयोजनों में UPITS ने शानदार सफलता पाई।
- पहले आयोजन में 2,000 प्रदर्शक और 400 विदेशी खरीदार शामिल हुए।
- दूसरे आयोजन में 2,000 से अधिक प्रदर्शक और 350 विदेशी खरीदार आए।
- करीब 5 लाख विजिटर्स ने हिस्सा लिया और 2,200 करोड़ रुपये के निर्यात ऑर्डर हुए।
तीसरे आयोजन से उम्मीद है कि इसमें 2,500+ प्रदर्शक, 500 विदेशी खरीदार और 5 लाख से अधिक विजिटर्स आएंगे।
यह आंकड़े बताते हैं कि भारत में चिप से शिप तक भारत में उत्पादन और व्यापार का सपना कितना बड़ा है और यह किस तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उत्तर प्रदेश: निवेश और निर्यात का केंद्र
आज उत्तर प्रदेश को निवेश और निर्यात का नया हब माना जा रहा है।
- यहां की नई औद्योगिक नीति ने बड़े निवेशकों को आकर्षित किया है।
- MSMEs और स्टार्टअप्स को बेहतर अवसर मिल रहे हैं।
- किसान और स्थानीय कारीगर भी वैश्विक बाजार तक पहुंच बना रहे हैं।
इससे यह साफ है कि भारत में अब चिप से शिप तक भारत में उत्पादन की दिशा में मजबूत इकोसिस्टम तैयार हो चुका है।
पीएम मोदी का विजन और भविष्य की राह
प्रधानमंत्री मोदी का स्पष्ट संदेश है कि भारत किसी भी चीज के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहेगा।
- चाहे इलेक्ट्रॉनिक चिप्स हों
- या शिप बिल्डिंग
- चाहे रक्षा उत्पादन हो
- या हाई-टेक्नोलॉजी
हर क्षेत्र में भारत खुद को आत्मनिर्भर बनाएगा।
उनका यह विजन सिर्फ आर्थिक आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत को दुनिया की औद्योगिक ताकत बनाने का संकल्प है।
निष्कर्ष
चिप से शिप तक भारत में बनाने का सपना सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि यह भारत की औद्योगिक क्रांति का नया अध्याय है। यूपीआईटीएस 2025 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक भारत की ताकत दिखाई दे रही है।
पीएम मोदी का यह विजन भारत को 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगा।