संसद में विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन कॉल पर संसद में खुलासा
संसद के मानसून सत्र के छठे दिन एक अहम खुलासा हुआ। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद को जानकारी दी कि 22 अप्रैल से 17 जून 2025 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन बातचीत नहीं हुई।
उनके इस बयान पर विपक्षी दलों ने संसद में हंगामा खड़ा कर दिया। विपक्ष का आरोप है कि सरकार सीजफायर और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पारदर्शी नहीं है।
🔹 अमित शाह का पलटवार: “इसीलिए विपक्ष 20 साल विपक्ष में रहेगा”
गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा,
“विदेश मंत्री ने निष्ठा की शपथ ली है और वह जो कह रहे हैं वह तथ्य है। लेकिन कांग्रेस जैसे दल उन पर भरोसा नहीं करते। यही वजह है कि ये लोग आने वाले 20 साल तक विपक्ष में ही रहेंगे।”
🔹 ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ भारत की सर्जिकल स्ट्राइक
विदेश मंत्री ने बताया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इस दौरान आम नागरिकों या सैन्य ठिकानों को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए, लेकिन भारत ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया।
इसके बाद भारत ने पाकिस्तानी वायुसेना के 11 ठिकानों पर जवाबी हमला किया और करीब 20% सैन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। अंततः पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन कर सीजफायर की पहल की।
🔹 ट्रंप का दावा और भारत की सच्चाई
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रुकवाया है। हालांकि, भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि सीजफायर डीजीएमओ स्तर की वार्ता के बाद ही संभव हुआ और इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की भूमिका नहीं रही।
🔹 सुरक्षा परिषद की कड़ी प्रतिक्रिया
एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भूमिका पर कहा:
“25 अप्रैल के बयान में सुरक्षा परिषद ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और सभी प्रायोजकों, आयोजकों व फाइनेंसरों को न्याय के कटघरे में लाने की बात कही।”
उन्होंने बताया कि इस दौरान पाकिस्तान खुद सुरक्षा परिषद का सदस्य था, इसलिए चुनौती बड़ी थी, लेकिन भारत ने प्रभावी ढंग से कूटनीतिक जीत दर्ज की।
🔹 निष्कर्ष
पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कथित बातचीत पर विपक्ष के आरोपों को सरकार ने संसद में सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर की पारदर्शी जानकारी भी सामने रखी। अब यह साफ है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ न केवल सैन्य रूप से बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी मजबूत कदम उठा रहा है।