जम्मू-कश्मीर एक बार फिर भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की ताकत और सूझबूझ का गवाह बना, जब हाल ही में चलाए गए ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मूसा सहित तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया। यह अभियान भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया। इस ऑपरेशन की खास बात यह रही कि इसका नाम ‘महादेव’ रखा गया, जो कि धार्मिक और सामरिक, दोनों ही दृष्टिकोणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पहलगाम हमला और उसकी पृष्ठभूमि
26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया था। यह हमला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ था, जहां आतंकियों ने पर्यटकों और आम नागरिकों को निशाना बनाया। रिपोर्ट्स के अनुसार, हमलावरों ने पहले लोगों की धार्मिक पहचान पूछी और फिर उन्हें गोलियों से भून दिया। यह केवल एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि धार्मिक नफरत की चरम सीमा का प्रतीक बन गया था।
इस वीभत्स हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने एक व्यापक आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया। खुफिया जानकारी के आधार पर यह पता चला कि हमले के जिम्मेदार आतंकी श्रीनगर के पास के इलाकों में छिपे हुए हैं, खासकर दाचीगाम और हरवान के जंगलों में। इसके बाद ही सेना ने ‘ऑपरेशन महादेव’ की योजना बनाई।
ऑपरेशन महादेव का आरंभ
यह ऑपरेशन 28 जुलाई को लिडवास फॉरेस्ट एरिया में शुरू हुआ। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के बाद सुरक्षा बलों ने हरवान के मुलनार इलाके में सघन घेराबंदी और तलाशी अभियान (CASO – Cordon and Search Operation) चलाया। अभियान के दौरान सेना ने पूरी रणनीति के साथ इलाके को सील किया और आतंकियों से मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया।
मुठभेड़ के दौरान तीन आतंकवादी मारे गए, जिनमें मूसा नामक आतंकी सबसे खतरनाक और मुख्य साजिशकर्ता था। वह न केवल पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था, बल्कि कश्मीर घाटी में कई अन्य आतंकी गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से शामिल था।

क्यों रखा गया नाम ‘ऑपरेशन महादेव’?
यह सवाल कई लोगों के मन में उठा कि इस सैन्य अभियान का नाम ‘महादेव’ क्यों रखा गया? इसका उत्तर सामरिक और धार्मिक दोनों स्तरों पर छिपा है।
श्रीनगर के पास महादेव पीक नामक एक प्रमुख पर्वतीय शिखर स्थित है, जो जबरवान रेंज का हिस्सा है। यह चोटी न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक रूप से भी अत्यंत पूजनीय मानी जाती है। भगवान शिव, जिन्हें महादेव कहा जाता है, का यह नाम सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से घाटी में गहराई से जुड़ा है। इस चोटी से लिडवास और मुलनार जैसे इलाकों का स्पष्ट दृश्य मिलता है, जहाँ यह मुठभेड़ हुई।
इस समय श्रावण माह भी चल रहा है, जो भगवान शिव को समर्पित महीना है और अमरनाथ यात्रा अपने चरम पर है। ऐसे समय में आतंकवादियों द्वारा किया गया हमला न केवल निर्दोष लोगों पर था, बल्कि भारत की संस्कृति और आस्था पर भी चोट थी। इसीलिए इस ऑपरेशन को ‘महादेव’ नाम देना एक प्रतीकात्मक और मनोवैज्ञानिक संदेश भी था — “अन्याय और आतंक के खिलाफ भगवान शिव के नाम पर न्याय की स्थापना।”
चिनार कोर की प्रतिक्रिया
भारतीय सेना की चिनार कोर ने इस ऑपरेशन की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा,
“आतंकवादियों के साथ पहला संपर्क 28 जुलाई को लिडवास क्षेत्र में हुआ। खुफिया सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों ने हरवान के मुलनार क्षेत्र में तलाशी अभियान शुरू किया।”
इस पोस्ट के माध्यम से सेना ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह योजनाबद्ध था और इसे विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर अंजाम दिया गया।
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान को जवाब
पहलगाम हमले के बाद भारत ने न केवल देश के भीतर कार्रवाई की, बल्कि सीमा पार भी जवाब दिया। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से एक अन्य कार्रवाई की जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया।
यह दिखाता है कि भारत अब केवल रक्षात्मक नीति नहीं अपना रहा, बल्कि आक्रामक प्रतिशोधात्मक रणनीति के साथ काम कर रहा है। इस प्रकार के अभियान आतंकियों और उनके समर्थकों को स्पष्ट संदेश देते हैं कि भारत की भूमि पर खून बहाने का अंजाम भयावह हो सकता है।
ऑपरेशन महादेव का असर और महत्व
‘ऑपरेशन महादेव’ सिर्फ एक मुठभेड़ नहीं थी। यह एक सामरिक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विजय थी। इससे यह स्पष्ट हो गया कि:
- सुरक्षा बल किसी भी कीमत पर आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
- भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ बयान नहीं, एक्शन में विश्वास करता है।
- ऐसे नामों का चयन जैसे ‘महादेव’, ऑपरेशन को जनसमर्थन और भावनात्मक जुड़ाव भी दिलाता है।
यह ऑपरेशन आने वाले समय में भी एक प्रेरणा बनेगा, जहां धर्म, आस्था और देशभक्ति के प्रतीकों के माध्यम से आतंक का सफाया किया गया।
अमरनाथ यात्रा और सावन माह के धार्मिक महत्व के बारे में यह लिंक देखें।
निष्कर्ष
‘ऑपरेशन महादेव’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक धार्मिक, राष्ट्रीय और मानवीय जीत है। यह बताता है कि चाहे आतंकी कितने भी चालाक हों, वे भारतीय सुरक्षा बलों की नजरों से नहीं बच सकते। और जब कार्रवाई होती है, तो वह केवल गोलियों की नहीं, बल्कि न्याय और संस्कृति की विजय की होती है।