किसानों को ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा रही है कुसुम योजना: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज समत्व भवन में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत प्रदेश के किसानों को सोलर पंप का अधिकतम लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि संबंधित सभी विभाग समन्वय बनाकर समयबद्ध लक्ष्य की पूर्ति करें ताकि किसानों को जल्द से जल्द योजना का लाभ मिल सके।
क्या है कुसुम योजना?
कुसुम योजना (KUSUM – Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahabhiyan) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों को स्वच्छ, सस्ती और स्थायी ऊर्जा उपलब्ध कराना है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप सेट दिए जाते हैं, जिससे वे अपनी सिंचाई की जरूरतों को पूरा कर सकें और साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन कर आय का एक नया स्रोत भी प्राप्त कर सकें।
मुख्यमंत्री ने दिए स्पष्ट निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों को बिजली खर्च से राहत मिले और वे ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कार्य योजना तैयार कर चरणबद्ध रूप से सोलर पंप की स्थापना की जा रही है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि प्रदेश में हरित ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।
किसानों के लिए फायदे
कुसुम योजना के तहत किसानों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
- बिजली बिल में भारी कटौती: सोलर पंप के माध्यम से सिंचाई की बिजली जरूरतें पूरी होती हैं, जिससे डीजल या ग्रिड बिजली पर निर्भरता घटती है।
- अतिरिक्त आय का अवसर: सोलर पैनल के माध्यम से अतिरिक्त ऊर्जा का उत्पादन कर किसान उसे बिजली बोर्ड को बेच सकते हैं।
- स्वच्छ पर्यावरण में योगदान: यह योजना ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देती है जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।
- लंबे समय तक चलने वाली सुविधा: एक बार सोलर पंप लग जाने पर इसकी रखरखाव लागत बहुत कम होती है।
- सरकारी सब्सिडी का लाभ: सोलर पंप की कीमत का अधिकांश भाग सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
समन्वय से होगा लक्ष्य हासिल
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया कि नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग, कृषि विभाग और विद्युत वितरण कंपनियां आपसी समन्वय से काम करें ताकि योजना तेज़ी से ज़मीन पर उतारी जा सके।
उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा कि किसानों को योजना के प्रति प्रशिक्षण एवं जागरूकता प्रदान की जाए ताकि वे बिना किसी भ्रम के योजना में भागीदारी करें।
मंत्रीगण और अधिकारियों की सहभागिता
इस महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में कैबिनेट मंत्री श्री राकेश शुक्ला भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि प्रदेश का किसान ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने और अपनी ज़रूरत की बिजली खुद उत्पन्न कर सके।
विभागीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि अभी तक कितने सोलर पंप लगाए जा चुके हैं, कितने लंबित हैं और आने वाले समय में क्या कार्य योजना है।
प्रदेश में चरणबद्ध योजना
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में सोलर पंप लगाने की प्रक्रिया चरणबद्ध रूप से की जा रही है। पहले चरण में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है जहां बिजली की आपूर्ति अनियमित है या सिंचाई के लिए संसाधनों की कमी है।
आने वाले महीनों में सरकार की योजना है कि हर जिले में अधिक से अधिक किसानों को सोलर पंप प्रदान किए जाएं और इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाए।
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जागरूकता और प्रचार-प्रसार
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि योजना की जानकारी अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचे इसके लिए ग्राम पंचायतों, कृषि मेलों, और जनकल्याण शिविरों में विशेष अभियान चलाए जाएं। साथ ही, डिजिटल माध्यमों से भी किसानों को योजना की जानकारी दी जाए।
निष्कर्ष
कुसुम योजना न केवल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है बल्कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू कर किसानों के जीवन में बदलाव लाने की दिशा में काम कर रही है।
सरकार की मंशा है कि “हर खेत को ऊर्जा मिले, हर किसान आत्मनिर्भर बने।” यदि यह योजना अपने तय लक्ष्यों के अनुसार सफल होती है, तो आने वाले समय में यह प्रदेश की कृषि और ऊर्जा दोनों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।