भारत ने किया इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वीपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण | DRDO की ऐतिहासिक उपलब्धि
भारत ने किया इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वीपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण | DRDO की ऐतिहासिक उपलब्धि image source @ pbs.twimg.com

इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वीपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण : भारत ने बढ़ाई सैन्य शक्ति:

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नई दिल्ली। भारत ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 23 अगस्त 2025 को ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वीपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया। यह उपलब्धि न केवल भारत की वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करती है, बल्कि भविष्य की लड़ाइयों में भी देश को बढ़त दिलाने में मदद करेगी।

IADWS: भारत की वायु रक्षा का भविष्य

इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वीपन सिस्टम (IADWS) एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम है, जो विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। इसमें शामिल हैं:

  1. क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) – यह मिसाइल कुछ ही सेकंड में लॉन्च होकर दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को निशाना बना सकती है।
  2. एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) – नजदीकी दूरी पर आने वाले टारगेट को खत्म करने वाला अत्याधुनिक हथियार।
  3. डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) – शक्तिशाली लेजर आधारित हथियार, जो भविष्य की युद्ध प्रणाली में निर्णायक साबित होगा।

इन तीनों का संयोजन IADWS को बहु-स्तरीय सुरक्षा कवच बनाता है। यानी चाहे खतरा नजदीक से हो या दूर से, यह सिस्टम हर स्तर पर दुश्मन को जवाब देने के लिए तैयार है।

परीक्षण की सफलता: क्या हुआ ओडिशा के तट पर?

23 अगस्त 2025 को दोपहर लगभग 12:30 बजे DRDO ने ओडिशा तट पर IADWS का परीक्षण किया। इस दौरान विभिन्न प्रकार के हवाई टारगेट पर मिसाइल और लेजर आधारित हथियारों का प्रयोग किया गया। सभी परीक्षण सफल रहे और सिस्टम ने अपने सभी निर्धारित मानकों को पूरा किया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने (x ) पर इस मौके पर DRDO और देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति (Atmanirbhar Bharat in Defence) की दिशा में बड़ा कदम है।

क्यों जरूरी है IADWS?

आज के दौर में युद्ध केवल ज़मीनी स्तर पर नहीं लड़े जाते। आधुनिक युद्धों में एयर पावर (Air Power) सबसे महत्वपूर्ण होती है। दुश्मन की पहली कोशिश यही होती है कि वह हवाई हमले कर हमारे एयरबेस, रडार स्टेशन और शहरों को नुकसान पहुंचाए।

ऐसे में IADWS जैसे सिस्टम की जरूरत होती है, जो एक साथ कई स्तरों पर देश की हवाई सीमाओं की रक्षा कर सके। यह प्रणाली:

  • दुश्मन के विमान और हेलीकॉप्टर को रोक सकती है।
  • ड्रोन और क्रूज मिसाइल जैसे आधुनिक हथियारों को नष्ट कर सकती है।
  • सटीक निशाना लगाकर कम समय में प्रतिक्रिया दे सकती है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ी ताकत

दुनिया में अमेरिका, रूस, चीन और इज़राइल जैसे कुछ ही देशों के पास मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद हैं। भारत का IADWS अब इस सूची में शामिल हो गया है।

यह उपलब्धि भारत को न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा में बढ़त देती है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मजबूत रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करती है। दक्षिण एशिया में जहां लगातार सुरक्षा चुनौतियां बनी रहती हैं, वहां इस तरह की प्रणाली भारत की रक्षा को और अधिक अजेय बनाएगी।

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम

DRDO का यह सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। यानी इसमें डिजाइन से लेकर निर्माण तक भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मेहनत है। इससे न केवल भारत की रक्षा क्षमता मजबूत हुई है, बल्कि विदेशी हथियारों पर निर्भरता भी कम होगी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान (Atmanirbhar Bharat) के तहत यह उपलब्धि भारत को रक्षा निर्यात (Defence Export) के क्षेत्र में भी नई ऊँचाई पर ले जा सकती है। आने वाले समय में भारत इस तरह की तकनीक अन्य देशों को भी निर्यात कर सकता है।

IADWS की खासियतें

  • मल्टी-लेयर डिफेंस: एक साथ कई स्तरों पर सुरक्षा।
  • तेजी से प्रतिक्रिया: कुछ ही सेकंड में लॉन्च होकर टारगेट को खत्म करने की क्षमता।
  • उन्नत रडार और ट्रैकिंग सिस्टम: दुश्मन की हर हलचल पर नजर रखने वाला अत्याधुनिक नेटवर्क।
  • लेजर तकनीक: भविष्य की लड़ाइयों में सबसे महत्वपूर्ण हथियार।
  • मोबाइल और लचीला: इसे किसी भी इलाके में जल्दी तैनात किया जा सकता है।

भविष्य की तैनाती

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में IADWS को भारत की सीमाओं, महत्वपूर्ण एयरबेस, मेट्रो शहरों और रणनीतिक ठिकानों पर तैनात किया जाएगा। इससे दुश्मन की किसी भी हवाई चाल का तुरंत जवाब दिया जा सकेगा।

DRDO और भारतीय सेना का योगदान

IADWS की सफलता केवल DRDO की नहीं, बल्कि भारतीय सेना के सहयोग का भी परिणाम है। इस प्रोजेक्ट में सेना ने अपनी जरूरतें और अनुभव साझा किए, जिससे यह सिस्टम और अधिक व्यावहारिक और उपयोगी बन सका।

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निष्कर्ष

इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वीपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण भारत की रक्षा क्षमताओं में ऐतिहासिक बढ़ोतरी है। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक सुरक्षा भूमिका का प्रतीक है। आने वाले समय में जब यह प्रणाली पूरी तरह तैनात होगी, तब भारत की हवाई सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित होंगी।

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