भारत-फ्रांस मिलकर बनाएंगे स्टील्थ फाइटर जेट इंजन, अमेरिका को बड़ा झटका
भारत और फ्रांस साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट इंजन बनाएंगे। AMCA प्रोजेक्ट से भारतीय वायुसेना को मिलेगी नई ताकत। IMAGE SOURCE @ pbs.twimg.com

अमेरिका को झटका! भारत-फ्रांस बनाएंगे फाइटर इंजन

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भारत ने अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अमेरिका को बड़ा झटका देते हुए भारत अब फ्रांस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के भारत-फ्रांस स्टील्थ फाइटर जेट इंजन बनाने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि भारत दुनिया के चुनिंदा देशों की उस लिस्ट में शामिल हो जाएगा जिनके पास अत्याधुनिक एयरो-इंजन बनाने की क्षमता है।

भारत और फ्रांस का नया रक्षा समझौता

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और फ्रांस की कंपनी Safran मिलकर 120 किलोन्यूटन का नया जेट इंजन बनाएंगे। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि Safran भारत को 100% तकनीकी हस्तांतरण देगा। इससे इंजन का डिजाइन, डेवलपमेंट, टेस्टिंग और उत्पादन भारत में ही किया जाएगा। यही इंजन भविष्य के भारत-फ्रांस स्टील्थ फाइटर जेट इंजन प्रोजेक्ट की रीढ़ साबित होगा।

क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?

भारत लंबे समय से अपने स्वदेशी फाइटर जेट कार्यक्रम में इंजन की समस्या का सामना कर रहा था।

  • GE-F404 इंजन की डिलीवरी में देरी
  • HAL और GE के बीच GE-F414 इंजन पर अधूरी डील
  • तेजस मार्क-1A प्रोजेक्ट प्रभावित

इन समस्याओं को देखते हुए भारत को विदेशी इंजनों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन Safran के साथ समझौते के बाद भारत के पास पूरे IP (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) राइट्स होंगे। इससे भारत का अपना एयरो-इंजन इकोसिस्टम तैयार होगा।

AMCA प्रोजेक्ट और भारतीय वायुसेना की ताकत

यह नया इंजन खासतौर से भारत के AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) के लिए तैयार किया जाएगा।

  • AMCA में होंगे स्टेल्थ फीचर्स, एडवांस्ड सेंसर और सर्पेन्टाइन एयर-इनटेक डिज़ाइन
  • भारतीय वायुसेना 2035 तक 7 स्क्वाड्रन यानी 126 AMCA जेट शामिल करेगी
  • पहले दो स्क्वाड्रन GE-F414 इंजन से और बाकी पांच स्क्वाड्रन भारत-फ्रांस के नए इंजन से संचालित होंगे

इससे भारतीय वायुसेना की शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी।

अमेरिका को क्यों झटका लगा?

अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ वॉर और इंजन डिलीवरी में देरी के बीच भारत ने फ्रांस का हाथ थाम लिया। अमेरिकी कंपनी General Electric केवल 80% तकनीक ट्रांसफर की पेशकश कर रही थी, जबकि फ्रांस ने 100% तकनीक ट्रांसफर का वादा किया है। यही कारण है कि भारत ने अमेरिका को किनारे कर फ्रांस के साथ यह बड़ा डील किया।

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नतीजा

भारत का यह कदम न केवल उसकी रक्षा शक्ति को नई ऊंचाई देगा, बल्कि उसे एयरो-इंजन टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर भी बनाएगा। आने वाले समय में भारत न केवल अपने लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बना सकेगा बल्कि अन्य देशों को भी सप्लाई कर सकता है। यही वजह है कि भारत-फ्रांस स्टील्थ फाइटर जेट इंजन प्रोजेक्ट को भारत के लिए गेमचेंजर माना जा रहा है।

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