एशिया कप 2025 का सुपर-4 मुकाबला भारत और श्रीलंका के बीच 26 सितंबर को खेला गया। रोमांच से भरे इस मैच का नतीजा टाई रहा और फैसला सुपर ओवर से हुआ। भारतीय टीम ने यह मैच जीतकर फाइनल में जगह बनाई, लेकिन सुपर ओवर के दौरान हुआ विवाद अब बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है।
विवाद की जड़ – दासुन शनाका का आउट और ‘डेड बॉल’ नियम
सुपर ओवर में श्रीलंका की ओर से दासुन शनाका बल्लेबाजी करने आए। अर्शदीप सिंह की यॉर्कर गेंद पर भारतीय खिलाड़ियों ने कॉट बिहाइंड की अपील की और अंपायर ने उन्हें आउट दे दिया। इसी बीच शनाका रन लेने दौड़े लेकिन विकेटकीपर संजू सैमसन ने उन्हें रन आउट कर दिया।
हालांकि, बाद में जब शनाका ने रिव्यू लिया तो अल्ट्राएज में साबित हुआ कि गेंद बल्ले से नहीं लगी थी। यानी वह कॉट बिहाइंड आउट नहीं थे। लेकिन मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के लॉ 20.1.1.3 के अनुसार, जैसे ही अंपायर उंगली उठाते हैं, गेंद ‘डेड’ हो जाती है। ऐसे में रन आउट मान्य नहीं हुआ और शनाका को वापस बल्लेबाजी का मौका मिला।
यहीं से विवाद शुरू हो गया और श्रीलंकाई कैंप काफी नाराज नजर आया।
सनथ जयसूर्या का गुस्सा और डिमांड
श्रीलंका टीम के हेड कोच और दिग्गज क्रिकेटर सनथ जयसूर्या ने मैच के बाद बयान देते हुए कहा:
“नियमों के मुताबिक पहला फैसला ही मान्य होता है। शनाका को आउट दिया गया तो गेंद डेड बॉल हो गई। बाद में जब फैसला बदला तो वही गिना गया। लेकिन मुझे लगता है कि इस तरह की स्थितियों से बचने के लिए नियमों में सुधार करना बेहद जरूरी है।”
जयसूर्या ने साफ कहा कि इस तरह के विवाद क्रिकेट की छवि को प्रभावित करते हैं और ICC को तुरंत नियमों की समीक्षा करनी चाहिए।
पथुम निसंका क्यों नहीं आए सुपर ओवर में?
एक और सवाल उठ रहा था कि श्रीलंका के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज पथुम निसंका सुपर ओवर में क्यों नहीं आए। इस पर जयसूर्या ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि निसंका को हैमस्ट्रिंग और ग्रोइन की चोट की समस्या थी। इसलिए टीम ने रिस्क न लेते हुए लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन के साथ बल्लेबाजी करने का फैसला किया।
भारत फाइनल में, श्रीलंका टूर्नामेंट से बाहर
इस रोमांचक मुकाबले को भारत ने आसानी से जीत लिया और अब 28 सितंबर को पाकिस्तान से भिड़ेगा। वहीं, श्रीलंका का सफर यहीं खत्म हो गया।
निष्कर्ष
एशिया कप 2025 सुपर ओवर विवाद ने एक बार फिर क्रिकेट के नियमों पर बहस छेड़ दी है। सनथ जयसूर्या जैसे दिग्गज भी मानते हैं कि खेल को पारदर्शी और विवाद-मुक्त बनाने के लिए बदलाव जरूरी हैं। अब देखना होगा कि ICC इस पर क्या कदम उठाता है।
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