भारत रूस से तेल खरीदेगा , भारत जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल आयातक देश है, पिछले कुछ वर्षों से रूस के साथ अपनी ऊर्जा साझेदारी को लगातार मजबूत कर रहा है। 2022 में पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भारत ने रियायती दरों पर रूस से तेल खरीदना शुरू किया, और आज यह देश की कुल तेल आपूर्ति का लगभग 35% हिस्सा बन चुका है।
ट्रंप की धमकी और भारतीय प्रतिक्रिया
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की और रूस से तेल और हथियार खरीदने पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की धमकी दी। ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत रूस से तेल खरीद बंद करने वाला है।
लेकिन रॉयटर्स की रिपोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सरकार फिलहाल रूस से तेल खरीद में कोई बदलाव नहीं कर रही है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत और रूस के बीच लॉन्ग-टर्म अनुबंध हैं, जिन्हें रातोंरात समाप्त करना आसान नहीं है।
तेल नीति पर भारत का स्पष्ट रुख
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत रूस के साथ स्थिर और ‘टाइम-टेस्टेड’ साझेदारी को महत्व देता है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे उपयुक्त और सुलभ विकल्प चुनता है।
रूसी तेल से वैश्विक स्थिरता में योगदान
रॉयटर्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों को स्थिर रखने में भी सहायक रही है। एक सूत्र ने कहा, “रूसी तेल पर कोई प्रत्यक्ष अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं है और भारत इसे यूरोपीय यूनियन द्वारा तय कीमत सीमा से नीचे खरीद रहा है।”
इसका मतलब है कि भारत न सिर्फ अपने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दे रहा है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा स्थिरता में भी भूमिका निभा रहा है।
अमेरिका से आयात में भी भारी बढ़ोतरी
दिलचस्प बात यह है कि भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल के आयात में भी बड़ा इजाफा किया है। 2025 की पहली छमाही में अमेरिका से भारत का तेल आयात 51% बढ़कर 0.271 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।
कीमत के लिहाज से देखें तो, FY25 की पहली तिमाही में भारत ने अमेरिका से 1.73 अरब डॉलर का तेल आयात किया था, जबकि FY26 की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 3.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
भारत की ऊर्जा रणनीति: संतुलन और आत्मनिर्भरता की दिशा में
भारत स्पष्ट कर चुका है कि वह किसी बाहरी दबाव में अपनी ऊर्जा नीति नहीं बदलेगा। अमेरिका और रूस—दोनों से तेल आयात कर भारत भौगोलिक और राजनयिक संतुलन बनाए रखना चाहता है।
इस नीति के दो मुख्य उद्देश्य हैं:
- तेल की कीमतों को नियंत्रित करना ताकि घरेलू उपभोक्ताओं पर असर न पड़े,
- ऊर्जा आपूर्ति की विविधता बनाए रखना, जिससे किसी एक स्रोत पर निर्भरता न हो।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बावजूद भारत ने अपनी स्वतंत्र और संतुलित ऊर्जा नीति पर कायम रहते हुए रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखने का फैसला किया है। यह न सिर्फ राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करता है बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता में भी योगदान देता है।
भारत ने अमेरिका से भी तेल खरीद बढ़ाकर यह दिखा दिया है कि वह एक निरपेक्ष और दूरदर्शी रणनीति अपना रहा है — जो आर्थिक, कूटनीतिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से पूरी तरह संतुलित है।
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