World War 3 possibility के बीच वैश्विक तनाव को दर्शाती हुई छवि जिसमें चीन के शी जिनपिंग, अमेरिका के जो बाइडन, रूस के व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन गंभीर मुद्रा में हैं, पृष्ठभूमि में मिसाइल और परमाणु विस्फोट के साथ।
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World War 3 Possibility: क्या तीसरा विश्व युद्ध करीब है?

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World War 3 Possibility: दुनिया भर में बढ़ते तनाव और सैन्य टकराव की समीक्षा

दुनिया के कई देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। एक ओर रूस और यूक्रेन के बीच वर्षों से युद्ध चल रहा है, वहीं इजरायल और तुर्की के बीच तनाव गहराता जा रहा है। एशिया में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाओं को लेकर तनातनी बनी हुई है। इन सभी घटनाओं ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को जन्म दिया है, जिसे अब सिर्फ एक विचार न मानकर गंभीरता से देखने की जरूरत है। World War 3 Possibility

World War 3 Possibility: पश्चिम एशिया और अफ्रीका की जंग की स्थिति

World War 3 Possibility: पश्चिम एशिया में शांति की स्थिति लगभग खत्म हो चुकी है। अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद गाजा पट्टी में भारी तबाही हुई। जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने भी सैन्य कार्रवाई की, जिससे पूरा क्षेत्र आग की चपेट में आ गया है। वहीं अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। अफ्रीका के कई हिस्से पहले से ही गृहयुद्ध और चरमपंथी हिंसा की गिरफ्त में हैं। सूडान में 2023 से दो सैन्य गुटों के बीच संघर्ष जारी है, जबकि माली, बुर्किना फासो, हैती और नाइजर जैसे देश उग्रवाद के संकट में फंसे हुए हैं।

एशिया और अन्य क्षेत्रों में उभरते टकराव

चीन और ताइवान के रिश्तों में भी खटास बढ़ती जा रही है। फिलहाल भले ही सीधी लड़ाई नहीं हुई है, लेकिन ताइवान का आक्रामक रुख संकेत देता है कि दबाव बढ़ने पर संघर्ष की स्थिति बन सकती है। मध्य पूर्व में इराक और सीरिया जैसे देशों में इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन अब भी सक्रिय हैं, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बनी हुई है।

पहले और दूसरे विश्व युद्ध का इतिहास

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 के बीच हुआ था, जिसमें मित्र राष्ट्र (फ्रांस, ब्रिटेन, सोवियत संघ, अमेरिका, जापान) और केंद्रीय शक्तियां (जर्मनी, ऑस्ट्रिया, ऑटोमन साम्राज्य, बुल्गारिया) आमने-सामने थीं। इस युद्ध में लगभग 2 करोड़ लोग मारे गए थे।

दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला, जिसमें लगभग 8 करोड़ लोग मारे गए। इसमें मित्र राष्ट्रों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ, चीन) और धुरी राष्ट्रों (जर्मनी, इटली, जापान) के बीच संघर्ष हुआ था।

तीसरे विश्व युद्ध की आशंका क्यों?

तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को हवा तब मिली जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने NATO देशों के यूक्रेन में हस्तक्षेप को “सभ्यता का विनाश” बताया। मई 2024 में रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने परमाणु युद्ध की चेतावनी दी थी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा कि वर्तमान संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध में तब्दील हो सकता है। इससे यह साफ होता है कि भू-राजनीतिक तनाव अब उस मोड़ पर है जहां विश्वव्यापी टकराव की संभावनाएं असल बनती जा रही हैं।

संभावित गुट और दुनिया का बंटवारा

स्थिति 1: दो गुटों में विभाजित विश्व

अगर दुनिया दो गुटों में बंटी, तो एक गुट अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों का होगा, जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हो सकते हैं। दूसरा गुट रूस के नेतृत्व में बन सकता है, जिसमें चीन, उत्तर कोरिया, ईरान और कुछ अरब देश शामिल हो सकते हैं।

स्थिति 2: कई गुटों का निर्माण

एक गुट में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल जैसे देश शामिल हो सकते हैं। दूसरा गुट रूस समर्थक देशों का हो सकता है, जिसमें रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, ईरान, चीन और संभवतः सीरिया, क्यूबा, वेनेजुएला जैसे देश हों। तीसरे गुट में वे देश होंगे जो न्यूट्रल भूमिका में होंगे और शांति वार्ता में भाग लेंगे, जैसे भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और कुछ खाड़ी देश।

World War 3 Possibility: क्या तीसरे विश्व युद्ध को रोका जा सकता है?

युद्ध को रोकने का कोई तयशुदा फॉर्मूला नहीं होता। आमतौर पर पहला कदम “प्रारंभिक वार्ता” (Preliminary Talks) होता है, जहां संबंधित देश बातचीत शुरू करते हैं। इसके बाद “नेगोशिएशन” यानी शर्तों पर चर्चा होती है। अगर बातचीत सफल होती है तो “शांति समझौता” होता है, जो संघर्ष के अंत का आधार बनता है। हालांकि, यह प्रक्रिया काफी जटिल होती है और इसमें समय लगता है।

निष्कर्ष

हालांकि तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति फिलहाल काल्पनिक है, लेकिन वैश्विक हालात तेजी से उस दिशा में बढ़ रहे हैं। यदि दुनिया ने समय रहते शांति और संवाद का रास्ता नहीं चुना, तो एक और भयावह युद्ध मानवता के सामने खड़ा हो सकता है। अब वक्त है कि वैश्विक नेतृत्व मिलकर जिम्मेदारी ले और कूटनीति, शांति और समझदारी से स्थिति को संभाले।

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