जेपी नड्डा डिनर पार्टी की चर्चा पूरे राजनीतिक गलियारों में थी। भाजपा अध्यक्ष ने अपने आवास पर NDA सांसदों के लिए डिनर का आयोजन किया था। लेकिन पंजाब और अन्य राज्यों में आई बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए इस पार्टी को रद्द कर दिया गया। यह कदम भाजपा नेतृत्व के संवेदनशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।
जेपी नड्डा डिनर पार्टी क्यों थी खास?
शनिवार को आयोजित होने वाली जेपी नड्डा डिनर पार्टी सिर्फ एक साधारण भोज नहीं थी।
- इसमें NDA के सभी सांसदों को आमंत्रित किया गया था।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे।
- मुख्य उद्देश्य 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए रणनीति बनाना था।
लेकिन हालात को देखते हुए यह फैसला बदलना पड़ा।
बाढ़ की स्थिति के कारण लिया गया फैसला
देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
- पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में हालात काफी गंभीर हैं।
- भाजपा अध्यक्ष ने इस समय को उत्सव के बजाय संवेदना व्यक्त करने का सही समय माना।
- इसलिए डिनर पार्टी रद्द करने का निर्णय लिया गया।
उपराष्ट्रपति चुनाव और एनडीए का गणित
भले ही जेपी नड्डा डिनर पार्टी रद्द हो गई, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
- एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है।
- विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है।
- भाजपा और उसके सहयोगियों के पास कुल मिलाकर 433 सांसदों का समर्थन है, जो स्पष्ट बहुमत है।
विपक्ष की रणनीति
इंडिया ब्लॉक के पास लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर लगभग 312 सांसद हैं।
अगर आम आदमी पार्टी भी विपक्ष का साथ देती है, तो यह संख्या 325 तक जा सकती है।
हालांकि, यह आंकड़ा एनडीए की तुलना में अभी भी कम है।
जेपी नड्डा डिनर पार्टी रद्द करने का महत्व
डिनर पार्टी रद्द करने के पीछे सिर्फ बाढ़ की संवेदनशील स्थिति नहीं है, बल्कि यह संदेश भी है कि भाजपा जनता की पीड़ा को प्राथमिकता देती है।
- यह फैसला बताता है कि राजनीति से ऊपर जनता की समस्याएँ हैं।
- साथ ही यह भाजपा की “जनसेवा पहले” की छवि को मजबूत करता है।
निष्कर्ष
नड्डा जी की डिनर पार्टी का रद्द होना राजनीति के साथ मानवीय संवेदनाओं को जोड़ने का एक बड़ा उदाहरण है। जहां चुनाव की तैयारियां जारी हैं, वहीं भाजपा ने जनता की मुश्किलों को प्राथमिकता दी। अब सबकी निगाहें 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं, जिसमें एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।