देश की आर्थिक स्थिति को लेकर एक कड़वा सच कुबूल किया। उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान को भीख मांगने के बजाय व्यापार, निवेश और नवाचार पर ध्यान देना चाहिए।
शरीफ ने कहा: Pakistan Aarthik Sankat
“दुनिया हमसे यह उम्मीद नहीं करती कि हम उनके सामने भीख का कटोरा लेकर जाएं। वे चाहते हैं कि हम शिक्षा, स्वास्थ्य, इनोवेशन और मुनाफे वाले क्षेत्रों में उनके साथ व्यापार करें। मैं और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब यह बोझ नहीं उठाएंगे।”
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि अब वक्त है कि पाकिस्तान अपने प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग करे और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम उठाए।
पाकिस्तान को चाहिए व्यापार और विकास की राह: शरीफ Pakistan Aarthik Sankat
शरीफ ने आगे कहा कि पाकिस्तान को अब मदद (Aid) के बजाय व्यापार और विकास आधारित रिश्तों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने देश को एक नया आर्थिक रोडमैप अपनाने की अपील की।
चीन, सऊदी अरब और तुर्की को बताया सच्चा दोस्त
अपने संबोधन में शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के कुछ अंतरराष्ट्रीय मित्रों का नाम लेकर उनकी प्रशंसा की:
- चीन को उन्होंने “पाकिस्तान का सबसे आजमाया हुआ दोस्त” बताया।
- सऊदी अरब को “सबसे भरोसेमंद और विश्वसनीय साथी” कहा।
- तुर्की, कतर और यूएई का भी आभार व्यक्त किया।
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भारत की प्रतिक्रिया: ‘भारत पर दोष मढ़ना बंद करे पाकिस्तान’
उधर, ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भारत ने पाकिस्तान पर सिंधु जल संधि का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा:
“हम पाकिस्तान द्वारा इस मंच का दुरुपयोग और गैर-संबंधित मुद्दे उठाने की कोशिश की कड़ी निंदा करते हैं।”
उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की ज़रूरत है क्योंकि:
- जनसंख्या वृद्धि
- जलवायु परिवर्तन
- तकनीकी प्रगति
- और सीमा पार आतंकवाद
इन कारणों से हालात में मूलभूत बदलाव आ चुके हैं।
पाकिस्तान को आत्मचिंतन की ज़रूरत
भारत ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और भारत पर बेवजह दोष मढ़ने से बचना चाहिए। क्योंकि सीमा पार आतंकवाद खुद इस संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
निष्कर्ष
शहबाज शरीफ का बयान पाकिस्तान की आर्थिक वास्तविकता का आईना है, वहीं भारत की प्रतिक्रिया इस बात को रेखांकित करती है कि केवल शब्दों से नहीं, व्यवहार से बदलाव जरूरी है। आने वाले समय में देखना होगा कि क्या पाकिस्तान वास्तव में मदद छोड़कर विकास की राह अपनाता है या फिर वही पुराना रास्ता जारी रहेगा।