ऑनलाइन गेम के खतरे: बच्चों को साइबर अपराध से कैसे बचाएं
आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन गेम के खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं। स्मार्टफोन और इंटरनेट की आसान उपलब्धता ने बच्चों की दुनिया को बदल दिया है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराधियों के लिए भी नए रास्ते खुल गए हैं। हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने अपनी बेटी से जुड़ा एक चौंकाने वाला किस्सा साझा किया, जिसने इस गंभीर मुद्दे की ओर सबका ध्यान खींचा।
अक्षय कुमार ने सुनाया डराने वाला अनुभव
मुंबई में आयोजित Cyber Awareness Month 2025 के दौरान अक्षय कुमार ने बताया कि उनकी 13 साल की बेटी एक ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम खेल रही थी, तभी किसी अजनबी व्यक्ति ने चैट में पूछा, “क्या तुम लड़का हो या लड़की?” बेटी ने जवाब दिया “लड़की”, तो उस शख्स ने तुरंत उससे न्यूड तस्वीरें भेजने को कहा। सौभाग्य से, उसने गेम तुरंत बंद कर दिया और अपनी मां ट्विंकल खन्ना को यह बात बता दी।
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि ऑनलाइन गेम के खतरे कितने गंभीर हो सकते हैं।
अक्षय कुमार की सरकार से अपील
अक्षय ने महाराष्ट्र सरकार से अपील की कि हर स्कूल में 7वीं से 10वीं कक्षा तक ‘साइबर पीरियड’ शुरू किया जाए। इसमें बच्चों को सिखाया जाए कि इंटरनेट और गेमिंग की दुनिया में क्या खतरे हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध अब सड़कों पर होने वाले अपराधों से भी बड़ा खतरा बन गया है। इसलिए बच्चों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
साइबर अपराधी कैसे फंसाते हैं बच्चे?
दरअसल, अपराधी बच्चों को फंसाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं —
1. ब्लैकमेलिंग:
अक्सर गेम के दौरान स्कैमर बच्चों को ‘चीट कोड’ या ‘फ्री रिवॉर्ड्स’ का लालच देते हैं। जैसे ही बच्चा लिंक पर क्लिक करता है, मोबाइल में स्पाइवेयर इंस्टॉल हो जाता है। इससे अपराधियों को पूरे फोन का एक्सेस मिल जाता है, जिसके जरिए वे फोटो और चैट चुरा लेते हैं और बाद में ब्लैकमेल करते हैं।
2. ग्रूमिंग:
कई अपराधी गेमिंग चैट रूम में बच्चों से दोस्ती करते हैं। धीरे-धीरे वे भरोसा जीतकर उनसे निजी जानकारी या फोटो मांगते हैं। NCRB रिपोर्ट 2023 के अनुसार, ऐसे 4,000 से अधिक मामले देशभर में दर्ज किए गए जिनमें बच्चों को इसी तरह ग्रूमिंग का शिकार बनाया गया।
क्यों जरूरी है साइबर जागरूकता
हालांकि इंटरनेट बच्चों के लिए सीखने का जरिया बन सकता है, लेकिन ऑनलाइन गेम के खतरे इसे खतरनाक भी बना देते हैं। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के गेमिंग और ऑनलाइन चैट पर नजर रखें। इसके अलावा, समय-समय पर उनसे बातचीत करें और उन्हें सिखाएं कि किसी अनजान व्यक्ति से निजी जानकारी साझा न करें।
अंततः, ऑनलाइन गेम केवल मनोरंजन तक सीमित रहें — यही असली सुरक्षा है।