सिंगापुर: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में आयोजित 22वें शांग्री-ला डायलॉग में भारत-पाकिस्तान संबंधों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत अब बिना रणनीति के नहीं चल रहा और अगर पाकिस्तान की ओर से सिर्फ दुश्मनी ही मिले, तो दूरी ही सबसे बेहतर रणनीति हो सकती है।
आतंकवाद पर पाकिस्तान को आईना
India defense strategy 2025: CDS जनरल अनिल चौहान का पाकिस्तान पर बड़ा बयान, कहा- “अब दूरी ही बेहतर रणनीति” जनरल चौहान ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि:
“सिर्फ भारत ही नहीं बदला, बल्कि अब भारत की रणनीति भी बदल चुकी है।”
शांग्री-ला डायलॉग: एशिया का प्रमुख रक्षा मंच
शांग्री-ला डायलॉग, एशिया का एक प्रतिष्ठित रक्षा मंच है, जो हर वर्ष लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ (IISS) द्वारा आयोजित किया जाता है।
इस वर्ष यह संवाद शुक्रवार से रविवार तक सिंगापुर में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 47 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जिनमें 40 से अधिक मंत्री-स्तरीय प्रतिनिधि शामिल हैं।
‘भविष्य के युद्ध और युद्धकला’ पर जनरल चौहान का संबोधन
जनरल चौहान ने अपने मुख्य भाषण में ‘भविष्य के युद्ध और युद्धकला’ पर चर्चा की और एक विशेष सत्र में ‘भविष्य की चुनौतियों के लिए डिफेंस इनोवेशन सॉल्यूशन’ विषय पर भी अपनी बात रखी।
India defense strategy 2025: भारत की रणनीतिक सोच में बदलाव
CDS जनरल चौहान ने बताया कि:
“1947 में जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी, उस समय पाकिस्तान सामाजिक विकास, GDP, प्रति व्यक्ति आय जैसे हर क्षेत्र में आगे था। लेकिन आज भारत हर मोर्चे पर आगे है — ये कोई संयोग नहीं, बल्कि रणनीतिक नीति का परिणाम है।”
उन्होंने 2014 की उस पहल का भी जिक्र किया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा:
“तालियां बजाने के लिए दो हाथ चाहिए होते हैं, और अगर बदले में केवल शत्रुता मिले, तो दूरी बनाए रखना ही समझदारी है।”
प्रमुख देशों से द्विपक्षीय बैठकें
जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में कई देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों और सैन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें शामिल थे:
- ऑस्ट्रेलिया
- यूरोपीय संघ
- फ्रांस
- जर्मनी
- जापान
- सिंगापुर
- ब्रिटेन आदि
इन बैठकों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य सहयोग, रक्षा साझेदारी और साझा सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा हुई।
अमेरिका से रक्षा संबंधों पर चर्चा
जनरल चौहान ने अमेरिका के इंडो-पैसिफिक कमांड (INDOPACOM) के कमांडर एडमिरल सैमुअल जे. पापारो से मुलाकात की। इस दौरान:
- दोनों देशों के बीच मिलिट्री-टू-मिलिट्री कोऑपरेशन पर चर्चा हुई।
- ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नई साझेदारियों और सुरक्षा सहयोग पर जोर दिया गया।
चीन की रणनीति में बदलाव
रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने इस बार अपने रक्षा मंत्री डोंग जुन को सम्मेलन में नहीं भेजा है। उनकी जगह पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी का एक प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहा है।
यह चीन की बदलती रणनीति की ओर संकेत करता है। सम्मेलन में ताइवान और दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका-चीन तनाव पर विशेष चर्चा हो रही है।
अन्य महत्वपूर्ण भाषण और उपस्थितियां
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों गुरुवार को सिंगापुर पहुंचे। सिंगापुर-फ्रांस राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने पर कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
- मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम शनिवार को सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
- अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ का भाषण महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो ट्रंप प्रशासन की इंडो-पैसिफिक रक्षा नीति को रेखांकित करेगा।
सम्मेलन की संरचना
तीन दिवसीय इस सम्मेलन में:
- 7 पूर्ण सत्र
- 3 विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
2024 में आयोजित पिछले सम्मेलन में 45 देशों ने भाग लिया था।
निष्कर्ष:
जनरल अनिल चौहान के बयान भारत की बदलती सुरक्षा रणनीति और पड़ोसी देशों के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। शांग्री-ला डायलॉग में उनकी सक्रिय भागीदारी भारत की वैश्विक रक्षा नीति में बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करती है।

