मुंबई, जिसे सपनों का शहर कहा जाता है, की चकाचौंध और गगनचुंबी इमारतों के बीच एक ऐसा इलाका भी है, जो दुनिया भर में अपनी अलग पहचान रखता है — धारावी। करीब 600 एकड़ में फैली यह बस्ती सिर्फ एक भूगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि लाखों सपनों, संघर्षों और कहानियों का संगम है। धारावी की कहानी मेहनत, उम्मीद, गरीबी, और आज बदलाव की दहलीज पर खड़े एक समाज की कहानी है।
धारावी कहाँ और कैसी है?
धारावी मुंबई के बीचों-बीच बसा इलाका है, जहां 8 से 10 लाख लोग रहते हैं। जनसंख्या घनत्व इतना अधिक है कि यह दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में गिना जाता है। कुछ जगहों पर चार लाख लोग प्रति वर्ग किलोमीटर की घनत्व तक पहुँच जाते हैं, जो मुंबई के औसत से कई गुना ज्यादा है।
यहां घरों का आकार अक्सर 10×10 फीट से ज्यादा नहीं होता, जिसमें 6-8 लोगों का परिवार गुज़ारा करता है। संकरी गलियां, खुले नाले, पानी की कमी और सीमित सुविधाएं — ये सब धारावी के रोज़मर्रा के हिस्से हैं। फिर भी, यहां के लोग मेहनत और हुनर से एक ऐसी अर्थव्यवस्था खड़ी कर चुके हैं, जो सालाना हजारों करोड़ रुपये का कारोबार करती है।
धारावी का इतिहास: दलदल से बस्ती बनने तक
धारावी की कहानी 19वीं सदी के आखिर में शुरू होती है। 1880 के दशक में, ब्रिटिश शासन के दौरान, मुंबई को औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा था। शहर की सफाई और विस्तार के लिए कई उद्योग और फैक्टरियां शहर से बाहर शिफ्ट की गईं, और धारावी जैसी जगहें बसाई गईं।
उस समय धारावी एक दलदली जमीन थी, समुद्र के किनारे बसी हुई। सबसे पहले यहां कोली मछुआरे आकर बसे, जिन्होंने मछली पकड़ने को अपना पेशा बनाया। इसके बाद अलग-अलग राज्यों से मजदूर, कारीगर और शरणार्थी आकर यहां बसते गए।
प्रवास की लहरें
- तमिलनाडु से आए चमड़ा कारीगर — जिन्होंने धारावी को लेदर हब बनाया।
- गुजरात के कुम्हार — जिन्होंने ‘कुम्हारवाड़ा’ बसाया और मिट्टी के बर्तनों का कारोबार शुरू किया।
- उत्तर प्रदेश और बिहार के कढ़ाई व सिलाई कारीगर — जिन्होंने रेडीमेड कपड़ों का उद्योग खड़ा किया।
- 1947 के बंटवारे के शरणार्थी — जिन्होंने यहां नई जिंदगी शुरू की।
- 1970 के दशक के सूखा-पीड़ित किसान-मजदूर — जो गांव से पलायन कर धारावी में आ बसे।
हर दशक में धारावी ने नए लोगों को अपनाया और अपने भीतर समा लिया।
धारावी की अर्थव्यवस्था: हुनर की राजधानी
धारावी को सिर्फ गरीबी और भीड़ के नजरिए से देखना अधूरा सच है। यहां की गलियों में बसी वर्कशॉप, कारखाने और छोटे उद्योग धारावी को भारत का ‘रिसाइक्लिंग हब’ बनाते हैं।
मुख्य उद्योग
- लेदर इंडस्ट्री — धारावी का अपना ब्रांड ‘90 फीट’ है, जो बेहतरीन जैकेट, बैग और पर्स बनाता है।
- पॉटरी (कुम्हारगिरी) — दीयों से लेकर सजावटी बर्तनों तक, कुम्हारवाड़ा की पहचान है।
- रेडीमेड गारमेंट्स — कपड़ों की सिलाई, कढ़ाई और निर्यात का बड़ा केंद्र।
- रिसाइक्लिंग — मुंबई का करीब 60% प्लास्टिक कचरा यहीं रिसाइकल होता है।
- मेटल और इलेक्ट्रॉनिक स्क्रैप — कबाड़ को नया रूप देने का बड़ा उद्योग।
आर्थिक आंकड़े
- लगभग 5,000 बिजनेस यूनिट
- 15,000+ वर्कशॉप
- सालाना टर्नओवर 8,600 करोड़ रुपये से ज्यादा
- करीब 2.5 लाख लोगों को रोजगार
चुनौतियों का पहाड़
धारावी में रहने वालों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है बेहिसाब भीड़ और बुनियादी सुविधाओं की कमी।
- सड़कें और नालियां — तंग और खस्ताहाल।
- पानी की समस्या — घंटों लाइन में लगने के बाद भी सीमित पानी।
- शौचालय की कमी — औसतन 500 लोगों पर एक टॉयलेट।
- स्वास्थ्य संकट — हैजा, टीबी, टाइफाइड जैसी बीमारियां आम।
- औसत आयु — राष्ट्रीय औसत (70+) से लगभग 10 साल कम।
धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट: बदलाव की दस्तक
जनवरी 2025 से शुरू हुआ धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट (DRP) एशिया की सबसे बड़ी स्लम रिडेवलपमेंट योजना है। महाराष्ट्र सरकार और अडानी ग्रुप के संयुक्त उपक्रम नवभारत मेगा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (NMDPL) के तहत इसे 17 साल में पूरा करने का लक्ष्य है।
मुख्य बिंदु
- कुल क्षेत्र: 621 एकड़
- रिडेवलपमेंट क्षेत्र: 270 एकड़
- पुनर्वास फ्लैट: 350 स्क्वायर फीट (योग्य धारावीकर्स के लिए)
- लागत: ₹2.5 से 3 लाख करोड़
- डिज़ाइन: मशहूर आर्किटेक्ट हाफीज कॉन्ट्रैक्टर
पुनर्वास की शर्तें
- 2000 से पहले रहने वाले — धारावी में मुफ्त फ्लैट।
- 2000-2011 के बीच आने वाले — धारावी के बाहर 300 स्क्वायर फीट फ्लैट, 2.5 लाख रुपये में।
- 2011-2022 के बीच आने वाले — धारावी के बाहर किराए पर फ्लैट, 12 साल बाद स्वामित्व।
विवाद और राजनीति
प्रोजेक्ट पर कई सवाल उठ रहे हैं —
- क्या सभी को घर मिलेगा?
- रोज़गार का क्या होगा?
- क्या मॉडर्न सिटी में छोटे उद्योगों के लिए जगह होगी?
विपक्ष का आरोप है कि यह प्रोजेक्ट बिल्डर्स को फायदा देने के लिए है, जबकि सरकार का दावा है कि यह धारावीकरों की भलाई के लिए है। प्रदर्शन, रैलियां और राजनीतिक बयानबाज़ी प्रोजेक्ट के साथ-साथ चल रही हैं।
धारावी का सांस्कृतिक असर
धारावी सिर्फ एक इलाका नहीं, बल्कि पॉप कल्चर और सिनेमा का भी हिस्सा है।
- स्लमडॉग मिलियनेयर — ऑस्कर विजेता फिल्म, जिसने धारावी को वैश्विक पहचान दी।
- गली बॉय — देसी हिप-हॉप की कहानी, रणवीर सिंह द्वारा निभाया गया मुराद का किरदार।
- काला — रजनीकांत अभिनीत फिल्म, झुग्गीवासियों के संघर्ष की कहानी।
- धारावी बैंक — वेब सीरीज़, जो अंडरवर्ल्ड और सत्ता की कहानी दिखाती है।
भविष्य की धारावी
धारावी की कहानी अब एक नए मोड़ पर है। यह देखना दिलचस्प होगा कि रिडेवलपमेंट के बाद क्या धारावी अपनी पहचान बनाए रखेगी या पूरी तरह एक मॉडर्न सिटी में बदल जाएगी।
अगर यह प्रोजेक्ट सभी हितधारकों की भागीदारी और पारदर्शिता के साथ पूरा होता है, तो यह लाखों लोगों की जिंदगी बदल सकता है। लेकिन अगर स्थानीय लोगों की चिंताओं को नजरअंदाज किया गया, तो यह संघर्ष और असंतोष का कारण भी बन सकता है।
निष्कर्ष
धारावी, जिसे अक्सर सिर्फ गरीबी और गंदगी के नजरिए से देखा जाता है, दरअसल भारत की अदम्य आत्मा का प्रतीक है। यह मेहनतकश लोगों का घर है, जिन्होंने कठिन हालात में भी सपनों को जिंदा रखा है। धारावी की कहानी बताती है कि इंसान के पास संसाधन कम हों, तो भी जुनून और मेहनत से वह अपनी दुनिया बना सकता है।