भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट मुकाबलों को लेकर देश में हमेशा बहस छिड़ी रहती है। खासकर तब, जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से हमारे देश के जवान और नागरिक शहीद होते हैं। ऐसे ही हालात एक बार फिर बने हैं। 14 सितंबर 2025 को दुबई में होने वाले भारत-पाक क्रिकेट मैच को लेकर विवाद बढ़ गया है। इस मैच का सबसे कड़ा विरोध कर रहे हैं पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए शुभम द्विवेदी का परिवार।
शहीद की पत्नी का बयान: “देश सर्वोपरि, मैच नहीं”
शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या द्विवेदी ने भावुक होकर कहा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना उनके पति और 26 अन्य शहीद परिवारों के बलिदान का अपमान है। उनका कहना है कि बीसीसीआई और सरकार इतनी जल्दी इस बड़े हमले को कैसे भूल सकती है। उन्होंने कहा – “देश सर्वोपरि है, मैच नहीं। क्रिकेट के लिए अगर हम शहादत की अनदेखी करते हैं तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा।”
परिवार का गुस्सा और अपील
- शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने कहा कि पाकिस्तान के आतंकियों ने उनके बेटे को धर्म पूछकर गोली मारी थी और अब उसी देश के साथ खेलना शर्मनाक है।
- चाचा मनोज द्विवेदी ने भी पूरे देश से अपील की कि इस मैच का बहिष्कार किया जाए। उनका कहना है कि शहीद परिवार का दर्द समझने के बजाय लोग मनोरंजन के लिए पाकिस्तान के साथ मैच खेलने की तैयारी कर रहे हैं, जो बेहद दुखद है।
क्यों उठ रहा है विरोध?
- पहलगाम आतंकी हमला (22 अप्रैल 2025): इस हमले में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
- शहादत की अनदेखी: परिवारों का आरोप है कि सरकार और बीसीसीआई ने इस बलिदान को भुला दिया।
- पाकिस्तान की भूमिका: बार-बार सबूत मिलने के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है।
- जनमानस की भावनाएं: आम नागरिक मानते हैं कि जब तक आतंकवाद खत्म नहीं होता, तब तक पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का खेल या संबंध नहीं होना चाहिए।
भारत-पाक क्रिकेट मैच का विरोध – एक नैतिक सवाल
भारत-पाक क्रिकेट मैच सिर्फ खेल नहीं है, बल्कि यह करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। सवाल यह है कि क्या ऐसे हालात में क्रिकेट खेलना सही है, जब देश के परिवार अपने प्रियजनों को खोने का दर्द झेल रहे हैं?
नतीजा और जनता की राय
सोशल मीडिया पर भी भारत-पाक क्रिकेट मैच का विरोध तेजी से ट्रेंड कर रहा है। लोग शहीद परिवारों के साथ खड़े होकर सरकार और बीसीसीआई से मैच रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
शुभम द्विवेदी और अन्य शहीदों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। क्रिकेट का असली रोमांच तभी है जब हम अपनी अस्मिता और राष्ट्रीय सम्मान के साथ खड़े हों। यदि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद जारी है, तो फिर उसके साथ क्रिकेट खेलना केवल शहीद परिवारों ही नहीं, बल्कि पूरे देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।