कल्कि जयंती 2025 भगवान विष्णु के दसवें अवतार, भगवान कल्कि के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, कलियुग के अंत में जब पाप और अधर्म अपनी चरम सीमा पर होंगे, तब भगवान विष्णु कल्कि रूप में प्रकट होकर धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में सत्य, न्याय और धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा का प्रतीक भी है।
इस लेख में जानिए: कल्कि जयंती 2025 की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत का महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं।
भगवान कल्कि कौन हैं?
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में पूजा जाता है। वे समय-समय पर दशावतार के रूप में इस धरती पर अवतरित हुए हैं। इनके दसवें अवतार को “कल्कि” कहा जाता है, जो अभी होना बाकी है। पुराणों के अनुसार जब कलियुग का अंतिम चरण होगा और धरती पर अधर्म, हिंसा, पाप और अन्याय का बोलबाला होगा, तब भगवान विष्णु घोड़े पर सवार, तलवार लिए हुए कल्कि रूप में प्रकट होंगे। वे दुष्टों का नाश करेंगे और सतयुग की पुनः स्थापना करेंगे।
कल्कि जयंती 2025 कब है?
कल्कि जयंती हर वर्ष सावन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है।
इस वर्ष कल्कि जयंती मंगलवार, 30 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।
यह दिन भगवान विष्णु के दसवें अवतार की स्मृति में व्रत, पूजा-पाठ और विशेष अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करते हैं और कल्कि पुराण की कथा श्रवण करते हैं।
कल्कि जयंती 2025 शुभ मुहूर्त
- षष्ठी तिथि प्रारंभ: 30 जुलाई 2025, रात 12:46 बजे
- षष्ठी तिथि समाप्त: 31 जुलाई 2025, रात 2:41 बजे
- पूजा का मुहूर्त: 30 जुलाई को शाम 4:06 बजे से 6:38 बजे तक
उदयातिथि के अनुसार पर्व 30 जुलाई को ही मनाया जाएगा। पूजा के लिए यह मुहूर्त अत्यंत शुभ माना गया है।
कल्कि अवतार की भविष्यवाणी
श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण, तथा कल्कि पुराण जैसे धर्मग्रंथों में इस अवतार का स्पष्ट उल्लेख है। जब संसार में धर्म की हानि और अधर्म का प्रभाव बढ़ जाएगा, तब भगवान कल्कि अवतार लेंगे:
- समाज में दुष्ट प्रवृत्तियां हावी होंगी
- सत्य, अहिंसा और करुणा लुप्तप्राय हो जाएंगी
- धर्म के स्थान पर अधर्म की पूजा होगी
ऐसे समय में भगवान कल्कि, शंभल ग्राम के ब्राह्मण विश्वनाथ के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। वे अद्भुत पराक्रमी और 64 कलाओं से युक्त होंगे। उनका मुख्य उद्देश्य अधर्म का नाश करना और सतयुग की स्थापना करना होगा।
कल्कि जयंती का धार्मिक महत्व
कल्कि जयंती केवल एक पौराणिक स्मरण मात्र नहीं है, यह:
- धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक है
- अधर्म पर धर्म की अंतिम विजय का स्मरण कराती है
- समाज में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करती है
- यह बताती है कि जब अंधकार घना होता है, तब ईश्वर स्वयं प्रकाश बनकर आते हैं
इस दिन व्रत, पूजा, ध्यान और विष्णु स्तुति से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
कल्कि जयंती पूजा विधि
कल्कि जयंती पर निम्न प्रकार से पूजा करनी चाहिए:
- सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें
- व्रत का संकल्प लें (यदि उपवास रखना हो)
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें
- चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
- दीपक जलाएं और भगवान को पुष्प, अक्षत, कुमकुम, तुलसी आदि अर्पित करें
- विष्णु सहस्त्रनाम, कल्कि स्तोत्र या विष्णु पुराण का पाठ करें
- भगवान को मिठाई या पंचामृत का भोग लगाएं
- अंत में आरती कर प्रसाद सभी में वितरित करें
इस दिन पीले वस्त्र पहनना और सात्विक भोजन ग्रहण करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
समाज के लिए कल्कि जयंती का संदेश
भगवान कल्कि का आगमन केवल एक धार्मिक भविष्यवाणी नहीं, बल्कि यह मानव समाज को चेतावनी है कि जब अधर्म बढ़ता है, तो दिव्यता उसका समाधान बनकर प्रकट होती है। इस पर्व से हमें यह सीख मिलती है:
- सच्चाई की राह चाहे कठिन हो, पर अंततः वही विजयी होती है
- अधर्म अधिक समय तक नहीं टिक सकता
- हर व्यक्ति के भीतर एक “कल्कि” है जो अन्याय और असत्य के विरुद्ध खड़ा हो सकता है
Kalki Jayanti 2025 – संक्षेप में मुख्य बिंदु
विषय | विवरण |
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पर्व का नाम | कल्कि जयंती 2025 |
तिथि | 30 जुलाई 2025 (मंगलवार) |
तिथि अवधि | 30 जुलाई रात 12:46 से 31 जुलाई रात 2:41 तक |
पूजा मुहूर्त | शाम 4:06 PM से 6:38 PM तक |
व्रत विधि | जल व फलाहार व्रत, पूजा, कथा श्रवण |
महत्व | भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि का स्मरण, धर्म की पुनर्स्थापना |
निष्कर्ष
कल्कि जयंती 2025 एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है जो हमें अधर्म के विरुद्ध धर्म की चेतना देता है। यह दिन आस्था, श्रद्धा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उत्तम अवसर है। भगवान विष्णु के कल्कि रूप की पूजा कर भक्तजन अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। पूजा के नियमों का पालन करते हुए, शुद्ध हृदय से भगवान का स्मरण करें और उनके कृपा पात्र बनें।