Pitru Paksha Shradh 2025 हिंदू धर्म में एक बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण काल माना जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और दान करते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्रद्धा से किया गया कर्म पितरों तक सीधे पहुंचता है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
पितृ पक्ष 2025 कब से कब तक है?
वर्ष 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत सोमवार, 8 सितंबर 2025 से हो रही है। यह अवधि रविवार, 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन समाप्त होगी। इस बार पितृ पक्ष कुल 14 दिनों का रहेगा क्योंकि तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध एक ही दिन पड़ रहे हैं।
Pitru Paksha Shradh 2025 का महत्व
- Pitru Paksha Shradh 2025 को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है।
- यह काल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर कृष्ण अमावस्या तक चलता है।
- इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज और दान करना शुभ माना गया है।
- पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध से पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है।
Pitru Paksha Shradh 2025 : श्राद्ध कैलेंडर (तिथि अनुसार)
📅 पंचांग के अनुसार Pitru Paksha Shradh 2025 की श्राद्ध तिथियां इस प्रकार हैं –
- प्रतिपदा श्राद्ध – 8 सितंबर, सोमवार
- द्वितीया श्राद्ध – 9 सितंबर, मंगलवार
- तृतीया श्राद्ध – 10 सितंबर, बुधवार
- चतुर्थी श्राद्ध – 10 सितंबर, बुधवार
- पंचमी श्राद्ध – 11 सितंबर, गुरुवार
- षष्ठी श्राद्ध – 12 सितंबर, शुक्रवार
- सप्तमी श्राद्ध – 13 सितंबर, शनिवार
- अष्टमी श्राद्ध – 14 सितंबर, रविवार
- नवमी श्राद्ध – 15 सितंबर, सोमवार
- दशमी श्राद्ध – 16 सितंबर, मंगलवार
- एकादशी श्राद्ध – 17 सितंबर, बुधवार
- द्वादशी श्राद्ध – 18 सितंबर, गुरुवार
- त्रयोदशी श्राद्ध – 19 सितंबर, शुक्रवार
- चतुर्दशी श्राद्ध – 20 सितंबर, शनिवार
- सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध – 21 सितंबर, रविवार
पितृ पक्ष में क्या करें?
✔ पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें।
✔ ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
✔ जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान दें।
✔ पीपल, तुलसी और आंवले के पेड़ की पूजा करें।
पितृ पक्ष में क्या न करें?
❌ शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि न करें।
❌ मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है।
❌ किसी का अपमान या बुरा बोलने से बचें।
निष्कर्ष
पितृ पक्ष पितरों को याद करने और उनका आशीर्वाद पाने का श्रेष्ठ अवसर है। जो भी श्रद्धा से श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करता है, उसके जीवन से पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार पर खुशहाली बनी रहती है।