पुष्यनक्षत्र के दिन किए गए हर शुभ कार्य का फल कई गुना बढ़ जाता है, इसी प्रकार इस दिन किया गया दान अक्षय हो जाता है तथा इस दिन खरीदी गई वस्तुएं भी चिरस्थायी सुख प्रदान करती हैं।
पुष्यनक्षत्र गोचर के समय जब चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में होता है, तो ऐसी स्थिति में मानसिक शांति एवं समृद्धि के लिए चंद्रमा का उपाय अथवा मोती आदि धारण करना अनुकूल होता है। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रराज इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह सभी नक्षत्रों में सबसे शुभ एवं बलवान होता है। विवाह को छोड़कर सभी शुभ मांगलिक कार्यों में पुष्य नक्षत्र का महत्व होता है। शास्त्रों में पुष्य नक्षत्र को अनेक दोषों को दूर करने, शुभ कार्य प्रयोजनों में निश्चित सफलता प्रदान करने तथा बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ एवं शुभ फलदायी माना गया है।
साल 2025 में पहली बार पुष्य नक्षत्र जनवरी महीने में
साल 2025 में पहली बार पुष्य नक्षत्र जनवरी महीने में 14 जनवरी को है। इस दिन महाकुंभ प्रयागराज में प्रथम शाही स्नान भी हैं । यह नक्षत्र सुबह 10:17 बजे से शुरू होकर 15 जनवरी को सुबह 10:28 बजे तक रहेगा। जब पुष्य नक्षत्र का संयोग बनता है, तो सोना आदि खरीदकर घर लाना धनतेरस की खरीदारी के समान ही फलदायी माना जाता है। ज्योतिष के ग्रंथों में जिस प्रकार गुरु पुष्य का विशेष महत्व बताया गया है, उसी प्रकार मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ने पर मंगल-पुष्य योग में व्यापार के लिए नए खाते-बही, नए वाहन, रियल एस्टेट के सौदे, आभूषण, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदना शुभ रहता है।
भूमि पर मंगल का आधिपत्य माना जाता है, इसलिए मंगल पुष्य में खरीदी गई भूमि व्यक्ति विशेष के लिए विशेष फलदायी होती है। मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार पुष्य नक्षत्र के संयोग में कोई भी पूजा या मंत्र आदि से संबंधित उपाय करने से सौ गुना अधिक फल मिलता है।
साल 2025 में पुष्यनक्षत्र की तारीखें:
10 फ़रवरी को रात 6:01 बजे से 11 फ़रवरी को रात 6:34 बजे तक
9 मार्च को रात 11:55 बजे से 11 मार्च को सुबह 12:51 बजे तक
6 अप्रैल को सुबह 5:32 बजे से 7 अप्रैल को सुबह 6:25 बजे तक
रविवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन गोल्ड, सिल्वर, ज़मीन, सोने के आभूषण वगैरह खरीदना बहुत शुभ माना जाता है
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