सीखने की कोई उम्र नहीं होती — इस कहावत को सच कर दिखाया है जयपुर के 71 वर्षीय तारा चंद अग्रवाल ने। उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र कभी सीखने में रुकावट नहीं बन सकती। तारा चंद जी ने अपनी पोती को पढ़ाते-पढ़ाते खुद CA की परीक्षा पास की और लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए।
तारा चंद जी SBBJ बैंक से रिटायर हो चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद वह अपनी पोती को पढ़ाने लगे। पोती CA की तैयारी कर रही थी। पोती को पढ़ाते-पढ़ाते उन्हें अकाउंटेंसी में दिलचस्पी हो गई। फिर उन्होंने खुद भी पढ़ाई शुरू कर दी।
तारा चंद अग्रवाल की कहानी कैसे वायरल हुई
इसी दौरान, ICAI ने 6 जुलाई को CA फाइनल के नतीजे घोषित किए। नतीजे आते ही, सोशल मीडिया पर उनका नाम छा गया। दरअसल, उनकी कहानी LinkedIn पर CA निखिलेश कटारिया ने शेयर की। इसके बाद, हजारों लोग उनकी मेहनत और लगन से प्रेरित हो गए।
यह कहानी हमें सिखाती है:
- उम्र बस एक नंबर है।
- सीखने की ललक हो तो मंज़िल मिल ही जाती है।
- परिवार का साथ बड़ी मदद करता है।
- सीखने की कोई उम्र नहीं होती
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लोगों ने कहा — “शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती।”
तारा चंद जी आज उन सभी के लिए उम्मीद हैं, जो सोचते हैं कि अब देर हो गई है।
आपकी सीख: अभी से शुरुआत करें
सबसे पहले, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इसलिए, अगर आप भी कुछ नया सीखने की सोच रहे हैं तो अभी से शुरुआत करें। सच तो यह है कि मेहनत और जज़्बा उम्र से कहीं बड़ा होता है। इसके अलावा, परिवार और सकारात्मक सोच भी इस सफर को आसान बनाते हैं। अंत में, यही प्रेरणा हमें तारा चंद जी की कहानी से मिलती है।
“ICAI ने 6 जुलाई को CA फाइनल के नतीजे घोषित किए। यहाँ देखें ICAI की ऑफिशियल वेबसाइट।”