चक्रवाती तूफान मोंथा: बंगाल की खाड़ी से उठ रहा है नया खतरा, तटीय राज्यों में अलर्ट
चक्रवाती तूफान मोंथा: बंगाल की खाड़ी से उठ रहा है नया खतरा, तटीय राज्यों में अलर्ट

चक्रवाती तूफान मोंथा: बंगाल की खाड़ी से उठ रहा नया खतरा

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चक्रवाती तूफान मोंथा (Cyclone Montha) ने बंगाल की खाड़ी में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में यह तूफान एक गंभीर चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है। इसके प्रभाव से बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय इलाकों में भारी बारिश, तेज हवाएं और समुद्री उफान देखने को मिल सकता है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह तूफान जलवायु परिवर्तन का ताजा उदाहरण है, जो आने वाले दिनों में तटीय राज्यों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।

तूफान की स्थिति और दिशा

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग में निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है, जो तेजी से मजबूत होकर चक्रवाती तूफान मोंथा में तब्दील हो गया है।
अगले 48 घंटों में यह तूफान उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों की ओर बढ़ सकता है।

मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इस दौरान हवा की रफ्तार 90 से 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है। समुद्र में ऊंची लहरें उठने की संभावना है, इसलिए मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।

NDRF की तैयारी: राहत और बचाव मोर्चे पर 25 टीमें तैनात

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने तूफान के खतरे को देखते हुए अपनी पूरी तैयारी कर ली है।
आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी के तटीय जिलों में 25 टीमों को पहले से तैनात किया गया है। इसके अलावा, 20 टीमें स्टैंडबाय पर रखी गई हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत राहत कार्यों में लगाया जा सके।

प्रत्येक टीम को नावों, रस्सियों, संचार उपकरणों, काटने वाले औजारों और प्राथमिक चिकित्सा सामग्री से लैस किया गया है।
NDRF ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर निकासी, राहत और पुनर्वास कार्यों की रूपरेखा तैयार कर ली है।

भारी बारिश और तेज हवाओं की चेतावनी

मौसम विभाग ने बताया कि तूफान के प्रभाव से आने वाले 3–4 दिनों तक तटीय इलाकों में मूसलाधार बारिश होगी।

  • आंध्र प्रदेश और ओडिशा के उत्तरी तटों पर 28 से 30 अक्टूबर तक भारी से अति भारी बारिश की संभावना है।
  • पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में भी तेज हवाएं चल सकती हैं।
  • कई इलाकों में बिजली गिरने और पेड़ गिरने जैसी घटनाएं भी हो सकती हैं।

मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों से पकी फसलों की कटाई जल्द पूरी करें और सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त रखें।

अरब सागर में भी एक और चक्रवात उठने की संभावना

सिर्फ बंगाल की खाड़ी ही नहीं, बल्कि अरब सागर में भी एक नया निम्न दबाव क्षेत्र बन रहा है।
यह चक्रवात अगले कुछ दिनों में विकसित होकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में असर डाल सकता है।
यदि दोनों चक्रवात एक ही समय में सक्रिय होते हैं, तो भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर भारी तबाही की संभावना बढ़ जाएगी।

यह स्थिति जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को दर्शाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण अब चक्रवाती तूफान पहले से ज्यादा तेज और खतरनाक हो गए हैं।

सरकार और प्रशासन की तैयारी

केंद्र और राज्य सरकारों ने संभावित आपदा से निपटने के लिए आपात बैठकें की हैं।

  • मछुआरों को समुद्र में जाने से रोक दिया गया है।
  • तटीय जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद करने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
  • बिजली आपूर्ति और पानी की सुरक्षा व्यवस्था पर भी अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है।
  • जरूरत पड़ने पर रेल और हवाई सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सकता है।

ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने आपदा प्रबंधन केंद्रों को 24×7 एक्टिव मोड में रखा है।
साथ ही, स्थानीय रेडियो और मोबाइल संदेशों के जरिए लोगों को लगातार अपडेट दिया जा रहा है।

जनता के लिए जरूरी सावधानियां

चक्रवात के समय सतर्कता ही सुरक्षा है।
NDRF और प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे इन बातों का पालन करें:

  1. तटीय इलाकों से तुरंत सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट हो जाएं।
  2. बिजली और गैस के कनेक्शन बंद रखें।
  3. मोबाइल और रेडियो के जरिए मौसम की ताजा जानकारी लेते रहें।
  4. जरूरत का सामान जैसे पानी, दवाइयां, टॉर्च और सूखा भोजन साथ रखें।
  5. किसी अफवाह पर विश्वास न करें और केवल सरकारी निर्देशों का पालन करें।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते चक्रवात

विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले एक दशक में भारत के तटीय इलाकों में चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ी हैं।
समुद्र का बढ़ता तापमान, ग्लोबल वार्मिंग और अनियंत्रित शहरीकरण इसके मुख्य कारण हैं।
जहां पहले साल में 2-3 बड़े चक्रवात आते थे, वहीं अब हर मौसम में एक नया खतरा मंडराने लगा है।

जलवायु परिवर्तन सिर्फ मौसम की घटना नहीं है, बल्कि मानव जीवन और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए खतरा बन गया है।
सरकार को अब न सिर्फ राहत कार्यों पर बल्कि दीर्घकालिक जलवायु नीति और हरित विकास योजनाओं पर भी गंभीरता से ध्यान देना होगा।

निष्कर्ष

चक्रवाती तूफान मोंथा फिलहाल बंगाल की खाड़ी में सक्रिय है और तटीय इलाकों के लिए गंभीर चेतावनी बन चुका है।
हालांकि सरकार और NDRF की तैयारी मजबूत है, लेकिन जनता की जागरूकता और सतर्कता सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकती है।
हमें मिलकर इस प्राकृतिक आपदा का सामना समझदारी से करना होगा, ताकि जनहानि और नुकसान को न्यूनतम रखा जा सके।

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