इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला , बिना धर्म बदले शादी अवैध

बिना धर्म बदले शादी अवैध: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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बिना धर्म बदले शादी अवैधइलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि अलग-अलग धर्मों के युवक-युवती अगर बिना विधिसम्मत धर्म परिवर्तन के शादी करते हैं तो वह विवाह कानूनन मान्य नहीं होगा। कोर्ट ने इस मामले में फर्जी आर्य समाज मंदिरों की जांच के आदेश भी दिए।

क्या कहा कोर्ट ने?

सोनू उर्फ शाहनूर की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा कि याची और पीड़िता के बीच हुआ विवाह वैध नहीं है क्योंकि—

  • पीड़िता घटना के समय नाबालिग थी।
  • आर्य समाज मंदिर से प्राप्त विवाह प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया।
  • विवाह का पंजीकरण उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 के तहत नहीं हुआ।

फर्जी आर्य समाज मंदिरों की जांच

कोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को निर्देश दिया कि:

  • फर्जी आर्य समाज मंदिरों की जांच कराई जाए, जो नाबालिगों के विवाह कर फर्जी प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं।
  • एक वरिष्ठ अधिकारी (पुलिस उपायुक्त से नीचे नहीं) के नेतृत्व में जांच हो।
  • 29 अगस्त 2025 तक व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

पॉक्सो एक्ट और आपराधिक धाराएं

मामले में पुलिस स्टेशन निचलौल, महाराजगंज में आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत मुकदमा लंबित था। याची ने इस कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला विवाह और धर्म परिवर्तन से जुड़े मामलों में एक नई दिशा तय करेगा। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि केवल आर्य समाज मंदिर का प्रमाणपत्र विवाह के लिए पर्याप्त नहीं है, जब तक कि कानूनी प्रक्रिया का पालन न हो।

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