अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध एक बार फिर सुर्खियों में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि “चीन को बर्बाद कर सकता हूं ” और यदि बीजिंग ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स की सप्लाई में अड़ंगा डाला, तो अमेरिका 200% तक का टैरिफ लगाने के लिए तैयार है। यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देशों ने व्यापार युद्धविराम को बढ़ाया है, ताकि बातचीत से कोई हल निकल सके। लेकिन ट्रंप का यह आक्रामक रुख बताता है कि आने वाले दिनों में हालात और तनावपूर्ण हो सकते हैं।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की शुरुआत
अमेरिका और चीन के बीच यह व्यापार युद्ध 2018 में शुरू हुआ था और लगातार तेज़ होता गया। इस विवाद की विस्तृत जानकारी आप BBC News – US-China trade war explained रिपोर्ट में देख सकते हैं।
उस समय ट्रंप प्रशासन ने यह आरोप लगाया था कि चीन अनुचित व्यापारिक प्रथाओं का पालन करता है और अमेरिकी टेक्नोलॉजी को चोरी कर वैश्विक बाजार में अनुचित बढ़त हासिल करता है। इसके जवाब में अमेरिका ने चीनी सामान पर अरबों डॉलर का टैरिफ लगा दिया।
चीन ने भी बदले में अमेरिकी सामान पर भारी शुल्क लगाया। इस तरह दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध छिड़ गया। इस जंग का असर न सिर्फ दोनों देशों पर पड़ा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन, निवेश और शेयर बाजार भी प्रभावित हुए।
ट्रंप की चेतावनी – ‘हमारे पास अविश्वसनीय कार्ड हैं’
ओवल ऑफिस में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के पास ऐसे विकल्प हैं जिनका इस्तेमाल करने पर चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा –
“चीन के पास कुछ कार्ड हैं, लेकिन हमारे पास अविश्वसनीय कार्ड हैं। मैं उन्हें खेलना नहीं चाहता, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो चीन बर्बाद हो जाएगा।”
ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी। निवेशक पहले से ही अमेरिका-चीन रिश्तों को लेकर अनिश्चितता में थे और अब यह बयान दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।
रेयर अर्थ – चीन की ताकत और अमेरिका की कमजोरी
चीन की सबसे बड़ी ताकत रेयर अर्थ एलिमेंट्स हैं। ये 17 धातुएं आधुनिक टेक्नोलॉजी और रक्षा उपकरणों के लिए बेहद अहम हैं। मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी, सोलर पैनल, सैन्य राडार और जेट इंजन तक – हर जगह इनका इस्तेमाल होता है।
दुनिया में रेयर अर्थ का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है। कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 60-70% हिस्सा अकेले चीन से आता है। अमेरिका अपनी जरूरतों के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है। यही कारण है कि जब चीन ने अप्रैल में रेयर अर्थ निर्यात पर पाबंदियां कड़ी कीं, तो वॉशिंगटन में चिंता बढ़ गई।
ट्रंप ने इसी मुद्दे पर चीन को चेतावनी दी और कहा कि अगर बीजिंग ने सप्लाई रोकी तो अमेरिका 200% तक का टैरिफ लगाएगा।
क्यों अहम है ट्रंप का बयान?
ट्रंप का बयान केवल धमकी नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की रणनीति का हिस्सा है। वॉशिंगटन की कोशिश है कि चीन की वैश्विक सप्लाई चेन पर पकड़ को कमजोर किया जाए।
- आर्थिक दबाव बनाना – अमेरिका चाहता है कि चीन अनुचित व्यापारिक प्रथाओं को छोड़े और खुले बाजार की ओर बढ़े।
- टेक्नोलॉजी सुरक्षा – अमेरिकी कंपनियां चाहती हैं कि उनकी टेक्नोलॉजी सुरक्षित रहे और चीन उस पर कब्जा न जमाए।
- रणनीतिक बढ़त – रेयर अर्थ जैसे खनिजों पर नियंत्रण अमेरिका के लिए जरूरी है क्योंकि यह रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र की प्रगति से जुड़ा है।
अमेरिका की चिंता – चीन का रूस और ईरान से तेल व्यापार
अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा कि चीन का रूस और ईरान से तेल खरीदना एक बड़ा विवाद है। अमेरिका पहले से ही रूस और ईरान पर प्रतिबंध लगाए हुए है, लेकिन चीन इन देशों से कच्चा तेल आयात करता रहा है।
यह मुद्दा अमेरिका के लिए इसलिए अहम है क्योंकि इससे बीजिंग को सस्ता ऊर्जा स्रोत मिलता है और वह अपने उद्योगों को मजबूत बनाता है। यही कारण है कि अमेरिका लगातार चीन पर दबाव डाल रहा है कि वह इस तरह के व्यापार से पीछे हटे।
ट्रंप का रुख और बीजिंग का निमंत्रण
हालांकि ट्रंप का बयान बेहद कड़ा था, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि चीन के साथ अमेरिका के संबंध बने रहेंगे। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हाल ही में बातचीत की है और यह भी खुलासा किया कि उन्हें चीन आने का निमंत्रण मिला है।
ट्रंप ने कहा –
“कभी न कभी, शायद इसी साल या अगले साल, मैं चीन का दौरा करूंगा। हमारे बीच कई मतभेद हैं, लेकिन रिश्ते खत्म नहीं होंगे।”
इससे साफ है कि ट्रंप एक ओर चीन पर दबाव बना रहे हैं और दूसरी ओर बातचीत का रास्ता भी खुला रखना चाहते हैं।
क्या सचमुच ‘चीन को बर्बाद कर सकता हूं ट्रंप’?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई में ट्रंप चीन की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकते हैं?
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्थाएं आपस में इतनी जुड़ी हुई हैं कि किसी एक को नुकसान पहुंचाना आसान नहीं है।
- अमेरिका चीन से सस्ती मैन्युफैक्चरिंग पर निर्भर है।
- चीन अमेरिकी बाजार और टेक्नोलॉजी पर निर्भर है।
- दोनों के बीच अरबों डॉलर का व्यापार होता है।
अगर अमेरिका 200% टैरिफ लगाता है, तो चीन को नुकसान जरूर होगा, लेकिन अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं पर भी इसका असर पड़ेगा। यानी यह एक ‘दोनों को नुकसान’ वाली स्थिति होगी।
वैश्विक असर
अमेरिका और चीन का यह तनाव केवल इन दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा। वैश्विक बाजारों, सप्लाई चेन और निवेशकों पर इसका गहरा असर होगा।
- यूरोप: यूरोपीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी।
- भारत: भारत के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है क्योंकि कंपनियां चीन की जगह भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब मान सकती हैं।
- एशिया: एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाएं जो चीन पर निर्भर हैं, उन्हें झटका लग सकता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का बयान “चीन को बर्बाद कर सकता हूं ” केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। रेयर अर्थ, तेल व्यापार और वैश्विक सप्लाई चेन जैसे मुद्दे इस तनाव को और जटिल बनाते हैं।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और चीन बातचीत से समाधान निकालते हैं या फिर यह व्यापार युद्ध और भी गहराता है। इतना तय है कि इस टकराव का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।