सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था को और अधिक न्यायसंगत बनाने के उद्देश्य से एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने की सहमति दी है। इस याचिका में मांग की गई है कि आरक्षण का लाभ अब आर्थिक रूप से सबसे अधिक वंचित लोगों को प्राथमिकता के आधार पर मिले। यह बहस देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी – बदलाव की जरूरत
जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि SC, ST और OBC समुदाय के कई लोग आरक्षण के जरिए सरकारी नौकरियों में उच्च पदों पर पहुंचकर आज सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम हो चुके हैं।
उन्होंने सवाल उठाया – क्या ऐसे लोग अब भी अपने ही समुदाय के गरीब और वंचित लोगों की कीमत पर आरक्षण का लाभ उठाते रहें?
यह बयान आरक्षण प्रणाली में आर्थिक आधार पर प्राथमिकता देने के विचार को और मजबूत करता है।
याचिका में क्या मांग की गई?
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दशकों से लागू आरक्षण के बावजूद, सबसे गरीब और जरूरतमंद लोग पीछे रह जाते हैं, जबकि अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति वाले लोग लगातार लाभ उठाते हैं।
इसलिए जरूरत है कि आरक्षण का लाभ जातीय श्रेणी के भीतर भी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पहले दिया जाए। इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समान अवसर का सिद्धांत मजबूत होगा।
मौजूदा व्यवस्था में विसंगतियां
आरक्षण का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्गों को बराबरी का अवसर देना था। लेकिन वर्तमान में, इन वर्गों के भीतर भी अमीर और उच्च सामाजिक स्थिति वाले लोग disproportionate लाभ उठा रहे हैं।
आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने से यह सुनिश्चित होगा कि मदद सबसे पहले उस तबके तक पहुंचे, जिसे वास्तव में इसकी जरूरत है।
‘क्रीमी लेयर’ पर पिछला बड़ा फैसला
पिछले साल 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को SC समुदाय के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति दी थी, ताकि आरक्षण का बड़ा हिस्सा सबसे पिछड़े वर्गों तक पहुंचे। कोर्ट ने सरकारों से यह भी कहा था कि ‘क्रीमी लेयर’ को आरक्षण से बाहर रखने के लिए स्पष्ट मानदंड तैयार किए जाएं।
यह फैसला आर्थिक आधार पर आरक्षण को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मिसाल माना गया।
आगे क्या हो सकता है?
अगर कोर्ट इस याचिका में आर्थिक आधार को प्राथमिकता देने के पक्ष में फैसला देता है, तो आरक्षण नीति में कई दशकों बाद बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इससे सरकारी नौकरियों में वास्तविक जरूरतमंदों को ज्यादा अवसर मिलेंगे और सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाया जाएगा।