बथुआ एक पत्ते की सब्जी का नाम है । रोजाना इसकी सब्जी खाने से किडनी में पथरी की समस्या से बचा जा सकता है। बथुआ के औषधीय गुणों के अनुसार इसमें लोहा, पारा, सोना और क्षार होते हैं। इसकी प्रकृति ठंडी होती है, यह अधिकतर गेहूं के साथ उगता है और जब गेहूं बोया जाता है, उसी सीजन में मिलता है।
आईए जानते बथुआ के स्वास्थ्यवर्धक लाभ।
बथुआ लिवर को मजबूत करता है और गर्मी से बढ़े हुए दिल को ठीक करता है। बथुआ का शोरबा स्वादिष्ट होता है और दही के साथ बनाया गया रायता भी अच्छा और फायदेमंद होता है। चाहे कुछ भी हो, बथुआ का सेवन रोजाना करें। बथुआ खाने के स्वास्थ्य लाभ
बथुआ रखें स्वस्थ : जितना अधिक आप बथुआ की सब्जी खाएंगे, यह आपके स्वास्थ्य को निरोग बनाए रखने में बहुत मददगार है। बथुआ को कम से कम मसालों के साथ परोसें। नमक न डालना सबसे अच्छा है, लेकिन यदि आवश्यक हो, तो सेंधा नमक डालें और मक्खन या भैंस के मक्खन के साथ छौंक लगाएं।
पेशाब के रोग: 1/2 किलो बथुआ को 3 कप पानी मैं मिलाकर उबालें और पानी को छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। पीने से पहले नींबू, जीरा, चुटकी भर काली मिर्च और सेंधा नमक डालकर चखें। तैयार पानी को दिन में तीन बार पिएं। इस विधि से पेशाब में जलन, पेशाब के बाद दर्द और दस्त ठीक हो जाते हैं। गैस और अपच दूर हो जाती है। पेट हल्का लगता है। उबले हुए पत्ते को दही में मिलाकर खाएं।
पेट की समस्याएँ: प्रतिदिन बथुआ की सब्जी खाएँ। बटू का रस और उबला हुआ पानी पीने से लीवर, तिल्ली, अपच, गैस, कृमि, दर्द, बवासीर और पेट की अन्य समस्याएँ ठीक होती हैं।
पथरी: पथरी होने पर प्रतिदिन 1 कप कच्चे बथुआ का रस चीनी के साथ पिएँ, पथरी टूटकर निकल जाएगी। जूँ और जूँ के अंडे होने पर बथुआ के फूल को उबालकर उस पानी से बाल धोएँ। जूँ गायब हो जाएँगे और बाल साफ हो जाएँगे।
मासिक धर्म: मासिक धर्म बंद हो जाने पर एक गिलास पानी में 2 चम्मच बथुए के बीज उबालें। आधा रह जाने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म स्पष्ट हो जाएगा। अगर आपकी आंखें सूजी हुई और लाल हैं, तो रोजाना बटुआ की सब्जी खाएं।
कब्ज: बथुआ की सब्जी आमाशय को मजबूत बनाती है और कब्ज से राहत दिलाती है। कब्ज से पीड़ित लोगों को रोजाना बथुआ की सब्जी खानी चाहिए। कई हफ्तों तक रोजाना बथुआ की सब्जी खाने से कब्ज दूर होती है। शरीर को ताकत मिलती है और स्फूर्ति बनी रहती है।
मुंहासे और फोड़े का इलाज: मुंहासे और फोड़े के इलाज के लिए, बथुए के फूल को पीसकर, सोंठ और नमक मिलाकर, गीले कपड़े से कसकर बांधें, कपड़े पर गीली मिट्टी लगाएं और आग पर सेंकें। पकने के बाद, गर्म ही बांधें। फोड़ा शांत हो जाएगा, या जल्दी पककर फूट जाएगा।
रक्तपित्त: 1 कप कच्चे बथुए के रस में स्वादानुसार मिलाकर दिन में एक बार पीने से कृमि मर जाते हैं। बथुए के बीजों को एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं और खून का आना ठीक हो जाता है।
दाद और खुजली के लिए उपयोग: सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े-फुंसी आदि त्वचा रोग होने पर प्रतिदिन बा हुआ को उबालकर निचोड़ लें, उसका रस पिएं और सब्जी खाएं। नहाने के पानी से त्वचा को धो लें। कच्चे बटुआ के पत्तों को कद्दूकस करके निचोड़कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब रस जल जाए और केवल पानी रह जाए तो उसे छानकर बोतल में भर लें और त्वचा रोगों पर अक्सर लगाएं। लंबे समय तक ऐसा करने पर आपको काफी लाभ होगा।
किडनी रोगों के लिए अच्छा: बथुआ की सब्जी मूत्राशय, किडनी और मूत्र प्रणाली रोगों के लिए अच्छी होती है। अगर आपका पेशाब रुक-रुक कर या कम मात्रा में आता है तो इसका रस पीने से आपका पेशाब खुलकर आता रहेगा।
मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा:
बथुआ की सब्जी मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हुई है। इसे खाने से रक्त शर्करा का स्तर सामान्य रहता है। अगर आपको मधुमेह है तो बथुआ की सब्जी जरूर खाएं।
बालों के लिए अच्छा:
बथुआ में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है। इसके अलावा, इसमें कई विटामिन और खनिज भी होते हैं। अगर आपको बाल झड़ने की समस्या है, तो अपने आहार में बथुआ शामिल करें, इससे आपके बालों की जड़ें मजबूत होंगी।