पुत्रदा-एकादशी

Putrada Ekadashi Vrat Katha 2025: पुत्रदा एकादशी की पौराणिक व्रत कथा यहां देखें

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पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपत्तियों द्वारा किया जाता है जो संतान सुख की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। इस व्रत का पालन करने से न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Putrada Ekadashi Vrat Katha)

धर्मराज युधिष्ठिर ने पूछा हे कृष्ण अब आप पौष माह के व्रत के बारे में समझाइए। तथा उसकी क्या विधि है।

इस पर श्री कृष्णा बोल हे राजन पोषण शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है इसका पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए इस व्रत में नारायण भगवान की पूजा करनी चाहिए इसके पूर्ण से मनुष्य तपस्वी विद्वान लक्ष्मीवान होता है इसकी में एक कथा कहता हूं उसे सुनो।

कथा

एक नगर में सुकेतुमान नाम का राजा रहता था, जिसकी पत्नी का नाम शैव्या था। राजा-रानी की कोई संतान नहीं थी, जिसके कारण वे हमेशा दुखी रहते थे। उन्हें हमेशा यह चिंता लगी रहती थी कि उनके बाद उनका राज्य कौन संभालेगा, उनका अंतिम संस्कार, श्राद्ध, पिंडदान आदि कौन करेगा? यह सब सोचते-सोचते राजा बीमार रहने लगे। एक दिन राजा जंगल भ्रमण के लिए निकले और वहां प्रकृति की सुंदरता देखने लगे। वहां उन्होंने देखा कि कैसे हिरण, मोर और अन्य पशु-पक्षी भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जीवन का आनंद ले रहे थे।

यह सब देखकर राजा का मन और अधिक व्याकुल होने लगा। वे सोचने लगे कि इतने पुण्य कर्म करने के बाद भी मैं निःसंतान हूं। तभी अचानक राजा को प्यास लगी और वे पानी की तलाश में निकल पड़े, घूमते-घूमते उनकी नजर नदी के किनारे बने ऋषियों के आश्रम पर पड़ी। इसके बाद राजा ने वहां जाकर सभी ऋषियों को प्रणाम किया। राजा के सरल स्वभाव को देखकर ऋषि बहुत प्रसन्न हुए और उनसे वर मांगने को कहा। जिस पर राजा ने उत्तर दिया, “हे भगवन्! मेरे पास भगवान और आप ऋषियों की कृपा से सब कुछ है, मुझे केवल एक ही दुःख है कि मेरी कोई संतान नहीं है, जिसके कारण मुझे अपना जीवन व्यर्थ लगता है।”

यह सुनकर ऋषि बोले, “राजन! आज पुत्रदा एकादशी है और तुम्हें इस एकादशी का व्रत पूर्ण श्रद्धा के साथ करना चाहिए। ऐसा करने से तुम्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी।” ऋषि की बात सुनकर राजा ने नियमानुसार इस व्रत को किया और द्वादशी के दिन नियमानुसार इस व्रत का पारण भी किया। फिर कुछ दिनों के पश्चात रानी गर्भवती हुई और उसे एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। इस प्रकार इस व्रत का महत्व कई गुना बढ़ता चला गया।

Putrada Ekadashi Vrat पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

  • व्रत के एक दिन पूर्व (दशमी) को सात्विक भोजन करें और व्रत का संकल्प लें।
  • एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • पूजा में तुलसी, फल, दीपक, धूप आदि का प्रयोग करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • दिनभर उपवास रखें और पुत्रदा एकादशी की कथा का श्रवण करें।
  • द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।

Putrada Ekadashi Vrat पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व

पौष शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी व्रत संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत मनुष्य के सभी पापों का नाश करता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती को संतान सुख और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि भगवान विष्णु का ध्यान और व्रत जीवन के सभी कष्टों का नाश करता है और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

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