यमन से बड़ी राहत: निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक
यमन में बंदी केरल की नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) को लेकर भारत के लिए राहत भरी खबर आई है। यमन के अधिकारियों ने निमिषा की फांसी की सजा फिलहाल के लिए स्थगित कर दी है। दरअसल, उन्हें 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी, लेकिन अब इसे टाल दिया गया है। यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब भारत सरकार और कई सामाजिक-धार्मिक संगठन उनकी फांसी रोकने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल की एक नर्स हैं जो काम के सिलसिले में यमन गई थीं। उन पर एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। यमन में शरिया कानून लागू है, जिसके तहत हत्या के मामलों में मृत्युदंड दिया जाता है।
ब्लड मनी ही आखिरी विकल्प
यमन में ब्लड मनी (Blood Money) की व्यवस्था के तहत पीड़ित परिवार चाहे तो मुआवजे के बदले अपराधी को माफ कर सकता है। इसे इस्लामी कानून में ‘दियाह’ भी कहते हैं। भारत सरकार ने अदालत में स्पष्ट कहा था कि निमिषा की जान बचाने का एकमात्र रास्ता ब्लड मनी ही है।
निमिषा के परिवार ने पीड़ित के परिवार को करीब 10 हजार अमेरिकी डॉलर (करीब 8.5 करोड़ रुपये) की ब्लड मनी देने की पेशकश की है। लेकिन अभी तक पीड़ित परिवार ने इसे स्वीकार नहीं किया है।
सुन्नी मुस्लिम नेता ने निभाई बड़ी भूमिका
इस पूरे मामले में प्रमुख सुन्नी मुस्लिम नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने पीड़ित परिवार से बातचीत कर उन्हें ब्लड मनी लेने के लिए मनाने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि उनकी मध्यस्थता के बाद ही पीड़ित परिवार बातचीत के लिए तैयार हुआ है।
भारत सरकार की लगातार कोशिश
भारत सरकार यमन सरकार से संपर्क में है और परिवार को और समय देने की अपील कर रही है, ताकि ब्लड मनी को लेकर सहमति बन सके। हालांकि यह साफ नहीं है कि फांसी कब तक के लिए टली है, लेकिन यह राहत का मौका जरूर है।
ब्लड मनी क्या होती है?
शरिया कानून के तहत हत्या के मामलों में पीड़ित परिवार को तय करने का अधिकार होता है कि आरोपी को मृत्युदंड मिले या मुआवजा लेकर उसे माफ कर दिया जाए। इस मुआवजे को ही ब्लड मनी कहते हैं। आमतौर पर इसकी राशि अपराधी और पीड़ित परिवार की आपसी सहमति से तय होती है।
अब आगे क्या?
निमिषा प्रिया की जिंदगी अब पूरी तरह ब्लड मनी पर टिकी है। अगर पीड़ित परिवार मुआवजा लेकर माफी देता है, तो उनकी फांसी हमेशा के लिए रुक सकती है। वरना यमन में शरिया कानून के मुताबिक फांसी की सजा बहाल भी हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत सरकार, सामाजिक संगठन और धार्मिक नेता सभी इस कोशिश में जुटे हैं कि निमिषा प्रिया को न्याय मिले और उनकी जान बचाई जा सके। फिलहाल फांसी की तारीख टलने से उम्मीदें बढ़ी हैं कि ब्लड मनी के जरिए यह मामला सुलझाया जा सकता है।
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इस मामले से जुड़ी ताजा खबरें आप ANI की रिपोर्ट में देख सकते हैं।