ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के कई हिस्सों में बंगाली बोलने वाले मुस्लिम नागरिकों को पुलिस अवैध रूप से हिरासत में ले रही है। ओवैसी बंगाली मुस्लिम गिरफ्तारी मामले पर खासा नाराज हैं और उन्होंने इसे गरीबों के अधिकारों का उल्लंघन बताया।
ओवैसी का बयान क्यों चर्चा में है?
- ओवैसी का कहना है कि गरीब और कमजोर वर्ग को ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है।
- इनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले मजदूर, सफाईकर्मी, घरेलू कामगार और कूड़ा बीनने वाले शामिल हैं।
- उनके पास पुलिस की कार्रवाई को चुनौती देने के साधन नहीं हैं।
“भारतीयों को बांग्लादेश भेजा जा रहा”
ओवैसी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“भारतीय नागरिकों को बंदूक की नोक पर बांग्लादेश में धकेला जा रहा है। यह बेहद चिंताजनक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि केवल भाषा या नाम देखकर किसी को विदेशी मान लेना संविधान के खिलाफ है।
पुणे की घटना के बाद बयान
- 23 जुलाई 2025 को पुणे पुलिस ने 5 बांग्लादेशी महिलाओं को गिरफ्तार किया।
- ये महिलाएं 20 से 28 वर्ष की उम्र की थीं।
- उनके पास वैध दस्तावेज नहीं थे और वे फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर रही थीं।
- जांच में पता चला कि वे पश्चिम बंगाल की निवासी होने का झूठा दावा कर रही थीं।
ओवैसी की सरकार से मांग
- पुलिस को सिर्फ भाषा या नाम के आधार पर किसी को हिरासत में लेने का अधिकार नहीं है।
- सरकार को गरीब भारतीयों को परेशान करने की नीति बंद करनी चाहिए।
- ओवैसी बंगाली मुस्लिम गिरफ्तारी जैसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए।
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