एक अमीर सेठ, जो अंग्रेजों से न डरा… जानिए वीरता की वो कहानी!
सेठ रामदास जी गुरवाले — एक धनाढ्य व्यापारी, समाजसेवी और गुप्त क्रांतिकारी।
वे व्यापार से मिली संपत्ति का बड़ा हिस्सा आज़ादी के दीवानों को देते थे।
ब्रिटिश हुकूमत को जब पता चला तो उन्होंने उनकी संपत्ति सील कर दी।
उन्हें राजद्रोह के झूठे आरोप में जेल में डाल दिया गया।
अंग्रेज़ बोले — माफी मांग लो, जान बख्श देंगे।
रामदास जी ने ठुकरा दिया।
फांसी से पहले शिकारी कुत्ते छोड़े। शरीर को नोच डाला गया।
आख़िरी शब्द:
मेरा खून मिट्टी में बीज बनेगा, आज़ादी की फसल लहराएगी।
ऐसे बलिदानों को अंग्रेज़ों ने किताबों से मिटा दिया।
पर लोककथा अब भी जिंदा है।
🙏
सेठ रामदास जी गुरवाले अमर रहें!
गुमनाम शहीदों को शत-शत नमन!
🇮🇳 जय हिंद! वंदे मातरम्!
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