सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु के कान के मैल से उत्पन्न हुए दो घोर राक्षस — मधु और कैटभ।
मधु–कैटभ ने देवी महाशक्ति को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की।
मधु–कैटभ ने वेद चुराए और हिरण्य समुद्र में छुपा दिए।
मधु–कैटभ ने वेद चुराए और हिरण्य समुद्र में छुपा दिए।
ब्रह्मा जी ने योगमाया से प्रार्थना की — भगवान विष्णु की निद्रा टूटे।
विष्णु जी जागे और मधु–कैटभ से हज़ारों वर्षों तक घमासान युद्ध हुआ।
घमंड में मधु–कैटभ बोले — “हमसे वरदान माँग लो!”
हरि विष्णु बोले — “मुझे तुम्हारे वध का वर दो!”
मधु–कैटभ बोले — “जहाँ जल न हो वहाँ वध करो!”
विष्णु जी ने अपनी जंघा पर रखकर उनका वध कर दिया।
भगवान विष्णु ने वेदों को ब्रह्मा जी को लौटाया, सृष्टि फिर से सुचारु चली।