भगवान बर्बरीक की रहस्यमयी और अद्भुत कहानी

महाभारत के महान योद्धा, जिन्होंने केवल तीन बाणों से पूरी पृथ्वी जीतने की शक्ति पाई और अपना शीश दान किया।

बर्बरीक कौन थे?

बर्बरीक भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बचपन से ही उनमें अपार शक्ति और विनम्रता थी।

जन्म और वरदान

बर्बरीक ने भगवान शिव की आराधना की और उनसे तीन अमोघ बाण प्राप्त किए जो अपराजेय थे।

तीन बाणों की शक्ति

पहला बाण शत्रु को चिन्हित करता, दूसरा उसका संहार करता और तीसरा सभी बाणों को वापस लाता था।

युद्ध में शामिल होने की प्रतिज्ञा

बर्बरीक ने अपनी माता से वादा किया कि वे हमेशा उस पक्ष का साथ देंगे जो युद्ध में हार रहा होगा।

श्रीकृष्ण से भेंट

श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण रूप में बर्बरीक से प्रश्न किया, “क्या तीन बाणों से युद्ध जीता जा सकता है?

बाणों की परीक्षा

बर्बरीक के बाण ने कृष्ण के पैर के नीचे छिपी पत्ती को भी भेद दिया — उनकी अद्भुत शक्ति का प्रमाण।

युद्ध का साक्षी बना शीश

श्रीकृष्ण ने उनका शीश एक ऊँचे टीले पर स्थापित किया ताकि वे निष्पक्ष दृष्टा बन सकें।

खाटू श्याम जी का जन्म और संदेश

श्रीकृष्ण ने वरदान दिया – “कलियुग में तुम ‘श्याम’ के नाम से पूजे जाओगे।” आज राजस्थान के खाटू में लाखों भक्त शीश नवाते हैं।