यहूदी धर्म (Judaism) के अनुयायी दुनिया की आबादी का सिर्फ़ 0.2% हैं, लेकिन अरबपतियों में उनका दबदबा सबसे ज़्यादा है। आख़िर क्यों? चलिए जानते हैं👇
यहूदी अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हैं — – एलन मस्क (Tesla, SpaceX) – मार्क ज़ुकरबर्ग (Facebook/Meta) – लैरी पेज (Google) – माइकल ब्लूमबर्ग (Bloomberg) – सर्गेई ब्रिन (Google Co-founder) इन सबकी सोच में एक चीज़ कॉमन है — Judaism के मूल्य।
Judaism कहता है — “ज्ञान सबसे बड़ा धन है।” यहूदी परिवारों में बच्चों को सिखाया जाता है कि पैसा साधन है, उद्देश्य नहीं।
यहूदी लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा शिक्षा में लगाते हैं। नोबेल पुरस्कार पाने वालों में 20% से अधिक यहूदी हैं! यानी “ज्ञान” ही उनका असली बिज़नेस है।
यहूदी समुदाय मानता है — “नौकरी सुरक्षा देती है, लेकिन व्यापार आज़ादी देता है।” इसी सोच ने उन्हें Amazon से लेकर Wall Street तक पहुँचाया।
एलन मस्क, मार्क ज़ुकरबर्ग, और लैरी पेज — तीनों ने अपने करियर की शुरुआत में भारी नुकसान झेले। पर Judaism सिखाता है — “हर असफलता एक नई शुरुआत है।”
यहूदी बिज़नेस कम्युनिटी दुनिया भर में एक-दूसरे से जुड़ी है। वे साझेदारी और भरोसे पर चलते हैं। Judaism सिखाता है — “सामूहिक भलाई ही सच्ची तरक्की है।”
यहूदी हर साल अपनी कमाई का 10% Tzedakah में दान करते हैं। यह धर्म का एक मुख्य नियम है — “समाज को लौटाओ, तभी धन टिकेगा।”
Judaism में रोज़ की प्रार्थना, पारिवारिक बैठकें और सीखने की परंपरा है। हर दिन का सवाल — “आज क्या नया सीखा?” यही आदतें उन्हें आगे बढ़ाती हैं।
यहूदी अमीर इसलिए हैं क्योंकि — 📘 वे शिक्षा को पूंजी मानते हैं, 💼 व्यापार को सोच, 🤝 सहयोग को शक्ति, और ❤️ समाजसेवा को जिम्मेदारी। अगर भारत का हर युवा यही अपनाए — तो “विश्वगुरु भारत” फिर से जन्म लेगा।